हरिवंश राय बच्चन जी हिंदी कविता के उत्तर छायावाद काल के श्रेष्ठ कवियों …
काहे रंग डाले हैं बैरी सावंरिया, भीग जाएं लट मेरी भीगी चुनरिया। डाले अबीर …
ईश्वर हमको दो वरदान माँ सरस्वती के आंगन में , एक पंक्ति में होकर खड़े। हम सा…
क्या रूप हैं, क्या रंग हैं तेरा, और क्या तेरी रफ़्तार हैं जिन्दगी। कभी अपनों से भी अपन…
रब का तराशा चेहरा कल ख्वाब में दिखा, हथेली पर मेहंदी से उसने नाम मेरा लिखा। एक अजब - स…
लड़का - कुछ अधरों पर मुस्कुराते हुए, बिखरी जुल्फों को हाथों से संवारते हुए, एक - एक कद…
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