राजेश जोशी
राजेश जोशी जी समकालीन साहित्यकारों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। राजेश जोशी जी को समकालीन कविता का महत्वपूर्ण हस्ताक्षर माना जाता है। राजेश जोशी जी को इस दौर के सबसे मुखर युवा कवि कहा जाता है।
जीवन परिचय
राजेश जोशी जी का जन्म 18 जुलाई 1946 को "मध्यप्रदेश" के "नरसिंहगढ़" जिले में हुआ। राजेश जोशी जी ने एम०एस०सी० जीव विज्ञान और एम० ए ० समाजशास्त्र की डिग्रियाँ हासिल की। और फिर भी एक बैंक से संबद्ध हो गए। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद ही पत्रकारिता शुरू की। राजेश जोशी जी ने कुछ सालों तक अध्यापन कार्य भी किया। राजेश जोशी जी ने कविताएं तो लिखे पर साथ ही उन्होंने कहानियाँ, नाटक, लेख और टिप्पणियां भी लिखी। तथा साथ ही उन्होंने कुछ नाटक रूपांतर और कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखी। उन्होंने "भतृहरि" की कविताओं की अनुरचना भूमिका "कल्पतरू यह भी" तथा "मायकोवस्की" की कविता का अनुवाद "पतलून पहिना बादल" नाम से किए। उन्होंने भारतीय भाषाओं के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं में भी कार्य किया। जैसे - अंग्रेजी, रूसी और जर्मन में भी उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए।
उपलब्धियाँ
उन्हें मुक्तिबोध पुरस्कार, श्रीकांत वर्मा स्मृति सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान और माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा साथ ही "साहित्य अकादमी पुरस्कार" के प्रतिष्ठित सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
रचनाएं
राकेश जोशी जी की रचनाएं कुछ इस प्रकार से हैं
कविता संग्रह
एक दिन बोलेंगे पेड़
मिट्टी का चेहरा
नेपथ्य में हँसी
दो पंक्तियों के बीच
कहानी संग्रह
सोमवार और अन्य कहानियाँ
कपिल का पेड़
नाटक
जादू जंगल
अच्छे आदमी
टंकारा का गाना
उनकी आलोचनात्मक टिप्पणियों की पुस्तक "एक कवि की नोटबुक" भी प्रकाशित हुई। "समर गाथा" नाम से एक दीर्घ कविता तथा "गेंद निराली मिट्ठू की" नाम से बाल कविताओं का एक संग्रह भी छपा है।
काव्यगत विशेषताएं
राजेश जोशी जी की कविताएं गहरी होती हैं। उनकी रचनाओं में जीवन की स्थिति को लेकर गहरे विचार उभरते हैं। कभी भी मानवता को संकट में देखते हैं, तो जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए वे बेचैन दिखाई देते हैं। और उनकी यही बेचैनी की स्पष्ट छाप उनके काव्य में दिखाई देती है। उनके जीवन के सभी छोटे-बड़े अनुभव उनके काव्य के दायरे में आते हैं। राजेश जोशी जी एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविता में नाटकीयता है, गेयता है, संगीत है, गद्य हैं और इन सब की एक डोर में गुंथा हुआ है मानवीय जीवन, मानवीय जीवन का सच। राजेश जोशी जी कविताओं का जितना महत्वपूर्ण पक्ष मानवीय चेतना है, उतना ही महत्वपूर्ण पक्ष सामाजिक चेतना तथा प्राकृतिक प्रेम भी है। वह अपनी अंतर्वस्तु की विविधता को व्यक्त करने के लिए अनेकानेक तरीके खोजते हैं। अर्थात् अपने भावों की अभिव्यक्ति के लिए नए नए विषय व रास्ते ढूंढते हैं। राजेश जोशी जी की रचनाएं निराशा के बादलों के बीच में से निकलती आशा की किरण की भांति होती है।
भाषा शैली
राजेश जोशी जी अपनी भाषा, किस्सागोई शैली और स्पष्ट व सपाट बयानी के लिए पहचाने जाते हैं। कविता को गद्यात्मक शैली में प्रस्तुत करने की कला में वे कुशल हैं। वे अनूठे गद्य शिल्पी भी हैं। उनके पास गद्य का नवीन स्वर है। जिसमें निज लय के साथ सामाजिक सातत्य सर्वत्र: ही अभिव्यक्ति पा जाता है। राजेश जोशी जी संवेदनशील रचनाकार, सूक्ष्मदर्शी आलोचक तथा भाषा के अद्वितीय आविष्कारक है। उनके लिए भाषा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इनकी भाषा में गेयता, लयात्मकता,संगीतात्मकता हैं। जोशी जी की भाषा सरल, सुबोध और बनावट से पूर्णतः दूर होती है। उनके काव्य में वाक्य रचना आत्मीयता से ओत - प्रोत होती हैं। तथा भावाभियक्ति करने में समर्थ होती है। उनका काव्य बिंब युक्त होता है।और चांद उनका सबसे प्रिय बिंब है। उनकी भाषा में अद्भुत सम्मोहन दिखता है। राजेश जोशी जी की भाषा स्थानीय बोली, मिजाज और मौसम का अनूठा संगम है।
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