
रब का तराशा चेहरा कल ख्वाब में दिखा,
हथेली पर मेहंदी से उसने नाम मेरा लिखा।
एक अजब - सी खनक उसकी आवाज में,
एक अजब - सा नशा उसकी हर बात में।
उसकी बातें यूं दिल पर असर कर गई,
अपनी यादें वो मुझको नज़र कर गई।
उसकी यादों का सिलसिला रात - भर चलता रहा,
रात बढ़ती रही चांद ढलता रहा।
रात के चांद पर चांद अपना दिखा,
क्या कशिश यादों में उसका चेहरा दिखा।
झुकती पलकों के सीपी में आंखें मोती लगे,
मुस्कुराते अधर दो पंखुड़ी से लगे।
उसकी जुल्फें जो चेहरे पर आने लगी,
यूं लगा चांद पर बदली छाने लगी।
मुस्कुराती हुई जब वो शरमाने लगी,
अपना चेहरा वो आंचल में छिपाने लगी।
वो आसमानी आंचल लहर - सा लगा,
और चेहरा जल में जलता दीपक - सा लगा।
जब हवा से वो बेदर्द आंचल हटा,
यूं लगा चांद पर से बादल हटा।
धड़कनें बेकल सी यूं धड़कनें लगी,
एक मुलाकात की दिल में चाहत जगी।
बेकरार रात को सुबह का इंतजार था,
उसके ख्यालों से भी अब मुझे प्यार था।
काश एक बार आती वो मेरे ख्वाब में,
वो हसीं रू - ब - रू होती मेरे ख्वाब में।
उसका हाथ लेकर मैं, मेरे हाथ में,
इश्क - ए - इज़हार करता बात ही बात में।
यूं ही रोज रहता उसका ख्वाब में आना - जाना,
या मुझसे कह देती वो मेरे ख्वाब में आ जाना।
ना मेरी रातों का लम्हा - लम्हा ख्वाबों में यूं गुजरता,
ना उसके ख्यालों में सारा दिन मैं तड़पता।
ये कैसा एहसास उसका जिसे देखा ही नहीं,
ये कैसा एहसास किसका जिसे जानता ही नहीं।
ये किसके एहसास से मोहब्बत हो गई,
वो कौन है जो इस दिल की धड़कने बन गई।
काश मिल जाती वो जिन्दगी के किसी मोड़ पर,
जिसके नाम की लकीर रब ने लिखी मेरे हाथ पर।
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