
क्या रूप हैं, क्या रंग हैं तेरा,
और क्या तेरी रफ़्तार हैं जिन्दगी।
कभी अपनों से भी अपनी लगती हैं तो,
कभी पल भर में पराई -सी लगती हैं जिन्दगी।
कभी एक खूबसूरत -सा ख्वाब हैं तो,
कभी अनचाही - सी हकीकत हैं जिन्दगी।
कभी धूप - छाँव की लुका - छिपी -सी हैं तो,
कभी अँधेरे में साथ छोड़ देने वाली परछाई हैं जिन्दगी।
कभी ठंडी हवा की तरह भावों को सहलाती हैं तो,
कभी झुलसाने वाली तेज धूप की तपिश -सी हैं जिन्दगी।
कभी अँधेरी रात में चाँद की चांदनी -सी हैं तो,
कभी बादलों में छिपे हुए चाँद - सी हैं जिन्दगी।
कभी आसमान में उड़ान भरते आजाद पंछी की तरह हैं तो,
कभी आंधी में तिनका - तिनका बिखरते घोंसले - सी हैं जिन्दगी।
कभी प्रेयसी पर लिखी कोई खूबसूरत - सी गजल हैं तो,
कभी कागज पर लिखे शब्दों की फैली स्याही - सी हैं जिन्दगी।
कभी नायिका के होंठो पर खिलती मुस्कान - सी हैं तो,
कभी हजारों शिकवे - शिकायतें करती उसकी खामोश नजर - सी हैं जिन्दगी।
कभी प्रिया की शर्म से झुकती हुई पलकों -सी हैं तो,
कभी रूठी हुई प्रेमिका की तरह मुँह फेर देती हैं जिन्दगी।
कभी दिलरूबा बनकर प्रेम - गीत गुनगुनाती हैं तो,
कभी बेवफा की तरह दामन छुड़ा ले जाती हैं जिन्दगी।
कभी एक पल में किताब के पन्नों -सी पलट जाती हैं तो,
कभी हर नए पन्ने पर जिन्दगी भर का सबक सीखा जाती हैं जिन्दगी।
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