काल परिचय

काल - परिचय 
                              काल - परिचय में हम समय के विषय में पढ़ेंगे, किसी भी वाक्य में जब हम क्रिया लिखते हैं तो वह समय पर आधारित होती हैं, कि क्रिया कब हुई,क्रिया पूर्ण हो गयी या अभी अपूर्ण हैं इत्यादि। और व्याकरण में क्रिया के समय को काल कहा जाता हैं।
काल की परिभाषा -
                                क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के होने के समय का बोध होता हैं या कार्य के पूर्ण होने या अपूर्ण होने की अवस्था ज्ञात हो,  उसे काल कहते हैं।
जैसे -    वह पाठशाला जा रहा हैं।
इस वाक्य में " जा "क्रिया हैं, तथा "रहा हैं" द्वारा दर्शाया गया हैं कि कार्य वर्तमान काल में किया जा रहा हैं। इसलिए यह स्पष्ट होता हैं कि काल कार्य के किए जाने का समय बताता हैं।
अन्य उदाहरण 
१ -   तरूण बाजार जा चुका हैं।
२ -   हम कल अहमदाबाद जाएंगे।
३ -   नेता जी भाषण दे रहे हैं।
४ -   कृष्ण ने कंस का वध किया था।
५ -   बच्चे चिड़ियाघर घूमने जाएंगे।
उपरोक्त उदाहरणों में कार्य की अलग - अलग  समय अवस्था को दर्शाया गया हैं। जैसे "जा चुका हैं" से पता चलता हैं कि कार्य पूर्ण हो गया हैं। "जाएंगे" अर्थात कार्य आने वाले कल में होगा। "दे रहे हैं" का मतलब हैं कि कार्य हो रहा हैं अभी पूर्ण नहीं हुआ हैं। " किया था" अर्थात कार्य पूर्व में पूर्ण हो गया हैं। इन्हीं आधार पर काल के प्रकार बताए गए हैं।
काल के प्रकार -
                     काल के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं
१ -   वर्तमान काल
२ -  भूतकाल
३ -  भविष्य काल
काल के इन भेदों के भी उपभेद होते हैं।  जिन्हें हम कुछ इस प्रकार से समझेंगे।
                                                                काल
                                                                  ↓
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       वर्तमान काल                                  भूतकाल                                       भविष्य काल
               ↓                                                 ↓                                                      ↓
     सामान्य वर्तमान काल                  सामान्य भूत काल                          सामान्य भविष्य काल
    तात्कालिक वर्तमान काल              आसन्न भूत काल                           सम्भाव्य भविष्य काल
     पूर्ण वर्तमान काल                           पूर्ण भूतकाल                                हेतुहेतुमद्भाविष्य काल
      संदिग्ध वर्तमान काल                    अपूर्ण भूतकाल                           
     सम्भाव्य वर्तमान काल                  संदिग्ध भूतकाल                         
                                                         हेतुहेतुमद भूतकाल

वर्तमान काल -
                    क्रियाओं में निरन्तरता को वर्तमान काल कहते हैं। या क्रियाओं का वह रूप जिनके अंत में ता हैं, ती हैं, ते हैं, रहा हैं, रही हैं, रहे हैं इत्यादि का प्रयोग होता हैं वे वर्तमान काल के अंतर्गत आते हैं।
जैसे -       साक्षी दौड़ती हैं।                                                     साक्षी दौड़ रही हैं।
               सौम्य दौड़ता हैं                                                      सौम्य दौड़ रहा हैं।                                        
               बच्चे दौड़ते हैं।                                                       बच्चे दौड़ रहे हैं।
उपरोक्त दोनों तरह के क्रिया प्रयोग से यहीं स्पष्ट होता हैं कि कार्य इसी वक़्त हो रहा हैं। इसलिए ये वर्तमान काल के अन्तर्गत आता हैं। अर्थात किसी भी कार्य  निरन्तरता से हमें वर्तमान काल का बोध होता हैं।
वर्तमान काल के भेद -
                               वर्तमान काल के पाँच भेद होते हैं। जो इस प्रकार से हैं -
१ - सामान्य वर्तमान काल -
                                क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के वर्तमान में होने का बोध होता हैं। वह सामान्य वर्तमान काल कहलाता हैं।
जैसे -   मैं लिखती हूँ।
            प्रखर घूमने जाता हैं।
            सैनिक जंग लड़ते हैं।
           रचित पुस्तक पढ़ता हैं।
           छात्र परीक्षा देते हैं।
सामान्य वर्तमान काल के वाक्यों में अभी काज हो रहे कार्यों के बारे में बताया जाता हैं। जैसे " प्रखर घूमने जाता हैं " अर्थात वह रोज घूमने जाता हैं। यह एक सामान्य बात हैं।

२ - तात्कालिक वर्तमान काल -
                                  क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात होता हैं कि कार्य वर्तमान समय में हो रहा हैं, लेकिन उसकी पूर्णता स्पष्ट नहीं होती हैं, वह तात्कालिक वर्तमान काल कहलाता हैं।
जैसे -   मैं पत्र लिख रही हूँ।
           शांतनु कसरत कर रहा हैं।
            भव्या झूला झूल रही हैं।
            सिपाही चोर के पीछे भाग रहे हैं।
            विद्यार्थी राष्ट्र - गान गा रहे हैं।
तात्कालिक वर्तमान काल के समस्त उदाहरणों से भी यहीं पता चलता हैं कि कार्य हो तो रहा हैं पर अभी पूर्ण नहीं हुआ हैं। अर्थात जिन वाक्यों में कार्य चल रहा हैं और अभी पूरा या समाप्त नहीं हुआ हो वे तात्कालिक वर्तमान काल के अंतर्गत आते हैं।
३ - पूर्ण वर्तमान काल - 
                                   क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान में कार्य के पूर्ण होने का बोध होता हैं, पूर्ण वर्तमान काल कहलाता हैं।
जैसे -   सुरभि ने चित्र बनाया हैं।
            पारुल ने खाना खाया हैं।
            मयंक ने पक्षियों को दाना दिया हैं।
            नंदिश ने पेड़ से फल तोड़े हैं।
            ख्याति ने पौधों को पानी दिया हैं।
उपरोक्त उदाहरणों से पूर्ण वर्तमान काल पूर्णतः स्पष्ट हो जाता हैं। कि कार्य पूर्ण हो गया हैं। जिन वाक्यों से प्रदर्शित होता हैं कि कार्य वर्तमान में पूरा हो गया हैं वे पूर्ण वर्तमान काल के अंतर्गत आते हैं।
४ -  संदिग्ध वर्तमान काल -
                                   संदिग्ध वर्तमान काल में क्रिया का वह रूप प्रयुक्त किया जाता हैं, जिससे यह स्पष्ट  होता हैं, कि कार्य अभी हो रहा हैं या नहीं। कार्य पूर्ण हुआ या नहीं हुआ हैं।
जैसे -  उन्नति नृत्य का अभ्यास कर रही होगी।
          पारस प्रयोगशाला से घर आ गया होगा।
          पिताजी ऑफिस जा रहे होंगे।
          रिद्धम गिटार बजा रहा होगा।
          वे सब खेल रहे होंगे।
उपरोक्त उदाहरणार्थ यह पता चलता हैं कि हमें यह नहीं पता कि जो भी हम कह रहे हैं वो हो रहा या नहीं। संदिग्ध वर्तमान काल में हम केवल अनुमान लगाते हैं कि ऐसा हो रहा होगा परन्तु हम निश्चित नहीं होते हैं।
५ - सम्भाव्य वर्तमान काल -
                                    सम्भाव्य वर्तमान काल में कार्य के पूर्ण होने सम्भावना होती हैं।
जैसे -  मेरे घर से निकलते ही वह आया हो।
          आपने खाना खाया हैं।
           मास्टर जी के पहुँचने से पहले ही वे विद्यालय पहुँच गए हो।
           परिधि ने अपना गृह कार्य कर लिया हो।
           भाई ने बहन को ये खिलौना उपहार में दिया हो।
इन उदाहरणों के आधार पर हम कह सकते कि सम्भाव्य वर्तमान काल में हमें किसी कार्य के होने कि पूर्ण सम्भावना होती हैं।

भूतकाल -
               क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के पूर्व में ही समाप्त होने का बोध होता हैं, उसे भूतकाल कहते हैं।
जैसे -  कृष्ण ने कंस का वध किया।
           निधि खाना बना चुकी थी।
           वे सब बाते कर रहे थे।
           वह सो रही होगी।
           वह खेलने नहीं जा सका।
उदाहरणों  माध्यम से हमने ये बताने का प्रयास किया हैं कि वाक्यों से या क्रिया से ये ज्ञात हो कि कार्य बीते समय में पूर्ण हो गया हैं वे भूतकाल के अंतर्गत आते हैं।भूतकाल के छह भेद होते हैं।

भूतकाल के अन्य छह भेद इस प्रकार हैं -
१ -  सामान्य भूतकाल -
                               यह भूतकाल का वह सामान्य रूप हैं, जिससे हम यह निश्चित नहीं कर पाते
हैं कि कार्य किस समय किया गया हैं। अर्थात कार्य की समाप्ति का बोध नहीं होता हैं।
जैसे -  वह मेरे घर आया।
           हमने क्रिकेट खेला था।
           वो सब घूमने गए।
           हमने हिमालय देखा था।
            उसने सेब खाया।
सामान्य भूतकाल में यह तो पता चलता हैं कि कार्य भूतकाल में हुआ हैं परन्तु पूर्व में हुए इस कार्य के पूर्ण होने पता नहीं चलता हैं। इसमें सामान्य व साधारण तरीके से बात व्यक्त की जाती हैं। जैसे उपरोक्त उदाहरण में हम देख सकते हैं कि "वह मेरे घर आया " इससे यह तो  स्पष्ट होता हैं कि वह पूर्व में आया हैं पर किस समय आया हैं, और आकर गया या नहीं, यह अस्पष्ट हैं। इसी प्रकार से अन्य उदाहरणों से भी कार्य के समय व पूर्णता का बोध नहीं होता हैं।

२ -  आसन्न भूतकाल -
                               आसन्न भूतकाल में यह पता चलता हैं कि कोई क्रिया निकट समय में पूर्ण हुई हैं,अर्थात कार्य अभी - अभी कुछ समय पहले समाप्त हुआ हैं।
जैसे -       मैंने उसे छत पर देखा हैं ।
                दीदी ने अभी अख़बार पढ़ा हैं ।
                आने से पहले हमने नाश्ता किया हैं ।
                इस बारिश से पहले बर्फ गिरी हैं ।
                उसने खाना खाया हैं।
आसन्न भूतकाल अर्थात कुछ पल, कुछ मिनट,या कुछ घंटे पूर्व का समय। जिससे यह पता चले कि कार्य अभी कुछ समय पहले या अभी - अभी किया गया हैं, आसन्न भूतकाल के अंतर्गत आता हैं।


३ -  पूर्ण भूतकाल -        
                              भूतकाल के इस भेद से किसी कार्य के पूर्ण होने का बोध होता हैं,अर्थात यह ज्ञात होता हैं कि कार्य पूरा हो चुका हैं।
जैसे -     मैंने रात पूर्णिमा का चाँद देखा था।
              बच्चों ने एक देशभक्ति गीत गाया था।
              तरुण ने एक कहानी लिखी थी।
              वह अपनी सहेली के जन्मदिन की दावत पर चली गयी थी।
              पापा ने शरबत पी लिया था।
उपरोक्त उदाहरणों के आधार स्पष्ट होता हैं कि कार्य भूतकाल में ही पूर्ण भी हो गया हैं। जैसे "  बच्चों ने एक देशभक्ति का गीत गाया था।" इस वाक्य से कार्य की पूर्णता बोध होता हैं। इसी हम देखेंगे कि प्रत्येक वाक्य किसी ना किसी कार्य की पूर्णता का बोध करा रहे हैं।

४ - अपूर्ण भूतकाल -
                             जिस भूतकाल में हमें कार्य के होने का तो बोध हो किन्तु यह पता नहीं चलता हैं कि कार्य समाप्त कब हुआ हैं। वह अपूर्ण भूतकाल कहलाता हैं।
जैसे -      हिरन पानी पी रहा था।
              रूचि मेला देखने जा रही थी।
              पराग दूध पी रहा था।
              नायिका श्रृंगार कर रही थी।
              वे घर की दीवार पर रंगकारी कर रहे थे।
अपूर्ण अर्थात जो पूरा नहीं हुआ हो। भूतकाल के वे कार्य जो पूर्व में हो तो रहे थे पर पूर्ण नहीं हुए,  वे अपूर्ण भूतकाल कहलाते हैं। जैसे " हिरन पानी पी रहा था। " इस वाक्य में हिरन ने पानी पी लिया हैं, यह नहीं बताया गया है। अर्थात पानी पीने का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ हैं। इसीलिए यह अपूर्ण भूतकाल हैं। इसी प्रकार जब वाक्य में क्रिया "रहा था,रही थी, रहे थे के रूप में प्रयुक्त होती हैं, तो वह अपूर्ण भूतकाल  हैं।

५ - संदिग्ध भूतकाल -
                           संदिग्ध अर्थात संदेह, जैसा कि नाम से स्पष्ट हो जाता हैं कि संदिग्ध भूतकाल में यह निश्चित रूप से ज्ञात नहीं होता हैं कि कार्य पूरा हो गया हैं या नहीं। परन्तु क्रिया से भूतकाल दृष्टव्य होता हैं।
जैसे -     उसने विकास को पैसे दे दिए होंगे।
              दादा - दादी तीर्थ यात्रा के लिए चले गए होंगे।
              गाय को चारा दे दिया होगा।
              माही ने पानी भरा होगा।
              वह साथ में खेलते  होंगे।
संदिग्ध भूतकाल में हमें किसी कार्य के होने पर संदेह होता हैं कि कार्य हुआ होगा लेकिन कार्य के पूर्णरूपेण होने बोध नहीं होता हैं। जैसे उदाहरण में हम देखेगे कि " विकास को पैसे दे दिए होंगे "इस वाक्य में सम्भावना का बोध होता हैं "दे ही दिए" ऐसा विश्वास नहीं हैं,अतः यह संदिग्ध भूतकाल हैं।

६ - हेतुहेतुमद भूतकाल -
                              हेतुहेतुमद भूतकाल से हमें यह ज्ञात होता हैं कि कार्य होने वाला था, परन्तु किसी वजह से कार्य नहीं हो सका। अर्थात जिस भूतकाल में कार्य होते - होते किसी कारणवश ना हो सकें तो उसे हेतुहेतुमद भूतकाल कहते हैं।
जैसे -  वह आगरा जाने वाली थी, पर बारिश के कारण नहीं जा सकी।
          वह पढ़ नहीं सका।
          रूपल अपने मित्र के घर जाना चाहता था पर जा ना सका।
          वे मौसम खराब के कारण पतंग ना उडा सके।
           समय की कमी के कारण कविता पूरी ना हो सकी।
 ऊपर दिए गए उदाहरण में हम देख रहे हैं कि प्रत्येक वाक्य में कोई ना कोई कार्य होने वाला था पर किसी ना किसी कारण से कार्य नहीं हुआ। यहीं हेतुहेतुमद भूतकाल हैं।

( ३ )  भविष्य काल - 
                                 वे क्रिया शब्द जिनसे यह ज्ञात होता हैं कि कार्य आने वाले समय में क्रियान्वित किया जायेगा,वे भविष्य काल कहलाते हैं। भविष्य काल की पहचान के रूप में जो शब्दांश क्रिया शब्दों के साथ प्रयुक्त होते हैं वे शब्दांश हैं गा, गी, गे।
जैसे - मैं कवि सम्मलेन में जाऊंगा।
         वह संगीत प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेगी।
         हम कल स्कूल में अंताक्षरी खेलेंगे।
         प्रधानाचार्य जी को कल पुरस्कार प्रदान किया जाएंगा।
         मैं हिंदी मंच पर प्रस्तुति नहीं दूंगा।
उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता हैं कि ये सभी कार्य अब तक क्रियान्वित ना होकर आने वाले समय में क्रियान्वित किये जायेंगे। और जिन वाक्यों में यह दृष्टव्य होता हैं कि कार्य आने वाले कल में किये जायेंगे, वे वाक्य भूतकाल के अंतर्गत आते हैं। भविष्य काल के तीन भेद होते हैं -
भविष्य काल के भेद
१ -   सामान्य भविष्य काल
२ -   सम्भाव्य भविष्य काल
३ -   हेतुहेतुमद भविष्य काल
 ( १ )   सामान्य भविष्य काल - 
                                               सामान्य भविष्य काल में हमें ज्ञात होता हैं कि कार्य आने वाले कल में या एक, दो दिन बाद में सामान्य रूप से कार्यान्वित होगा या किया जायेगा।
जैसे -    गौरव कल अपने मित्र के विवाहोत्सव में जाएगा।
             हिमाद्रि परीक्षा देगी।
             वह पेड़ से आम तोड़ेगा।
              माली क्यारी में पौधे लगाएँगे।
              अध्यापिका नया अध्याय पढ़ायेंगी।
सामान्य भविष्य काल के प्रत्येक उदाहरण में एक सामान्य सी बात कही गयी, जिससे पता चलता हैं कि ये कार्य अभी कार्यान्वित ना होकर भविष्य में कार्यान्वित किये जायेंगे।

( २ )  सम्भाव्य भविष्य काल -
                                             सम्भाव्य अर्थात सम्भावना। सम्भाव्य भविष्य काल के अंतर्गत भविष्य में  किसी कार्य के होने की सम्भावना व्यक्त की जाती हैं।
जैसे -  लगता हैं कल बारिश होगी।
          शायद परसों मुझे किसी आयश्यक कार्य से बाजार जाना पड़े।
          शायद वे रात्रि भोज के लिए हमारे घर आए।
          मुझे ऐसा प्रतीत होता हैं कि दौड़ में आराध्या ही प्रथम आएँगी।
          लगता हैं अगले सोमवार से हमारी परीक्षा शुरू हो जायेंगी।
जैसा की हम देख सकते हैं कि उपरोक्त उदाहरणों में भविष्य में कार्य होने सम्भावना का बोध हो रहा हैं। जैसे "लगता हैं कल बारिश होगी " इस वाक्य में "लगता हैं "शब्द के माध्यम से बारिश होने की सम्भावना दर्शायी गयी हैं। ठीक इसी प्रकार से शायद, प्रतीत होता हैं, हो सकता हैं, लगता हैं इत्यादि वाक्यांशों का वाक्य में प्रयोग कर वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के प्रति भविष्य में सम्भावना व्यक्त की जाती हैं। और इस प्रकार से निर्मित वाक्य सम्भाव्य भविष्य काल के अंतर्गत आते हैं।

( ३ )   हेतुहेतुमद भविष्य काल -
                                              जब भविष्य में होने वाली किसी क्रिया का होना किसी अन्य क्रिया पर निर्भर करता हैं तो वह हेतुहेतुमद भविष्य काल कहलाता हैं।
जैसे -   वे बात शुरू करे तो मैं अपना विचार व्यक्त करूँ।
           पापा के घर पहुंचते ही दादा - दादी तीर्थ यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे।
           जब माँ खाना बनाएंगी तभी मैं खाना खाऊंगा।
           माँ अनुमति दे तो हम खेलने जाये।
           जब हवा चलेगी तो मैं पतंग उड़ाऊंगा।
उपरोक्त प्रत्येक उदाहरण में आप देख सकते हैं कि वाक्य कि मुख्य क्रिया वाक्य की पूर्व क्रिया पर आश्रित हैं। जब पहली क्रिया होगी तत्पश्चात ही दूसरी क्रिया पूर्ण होंगी। जैसे पापा के घर पहुंचने पर ही दादा - दादी तीर्थ यात्रा के लिए निकलेंगे। जब हवा चलेगी तभी पतंग उड़ेगी इत्यादि।
            इस प्रकार इस अध्याय में हमने काल परिचय पढ़ा। जैसे काल किसे कहते हैं ? काल के भेद, काल के भेदों की परिभाषा व उदाहरण।कोई भी कार्य भिन्न - भिन्न समय में होता हैं। जैसे कुछ कार्य बीते  समय में हो जाते हैं तो कुछ कार्य आज में होते हैं और वहीँ कुछ कार्य आने वाले समय में होने होते हैं। लेकिन जिस समय में विभिन्न कार्य कार्यान्वित होते हैं उस समय का बोध भी हमें क्रिया के विभिन्न परिवर्तित रूपों से ही होता हैं। काल का सही ज्ञान हमें शुद्ध वाक्य निर्माण में सहायता करता हैं।
            हम वर्ण, शब्द, वाक्य, वाच्य, काल, क्रिया, विशेषण,संज्ञा,सर्वनाम,अव्यय आदि का अध्ययन कर व्याकरण में वाक्य रचना या हिंदी को सार्थक रूप से लिखना तो सीख लेते हैं, परन्तु हिंदी को शुद्ध रूप से लिखना और हिंदी का शुद्ध - अशुद्ध शाब्दिक ज्ञान, व प्राचीन हिंदी का परिवर्तित रूप का ज्ञान भी हमारे लिए अनिवार्य होता हैं। जिसका अध्ययन हम इसके अगले अध्याय तत्सम - तद्भव शब्दों के अंतर्गत करेंगे। 

                     

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