जैसा कि सर्वविदित हैं कि हिंदी और संस्कृत का सम्बन्ध अत्यंत प्राचीन हैं। हिंदी भाषा में संस्कृत भाषा के शब्दों का बाहुल्य हैं। आज भी हिंदी भाषा में संस्कृत के कई शब्दों का प्रयोग शुद्ध रूप में किया जाता हैं। और कई शब्द ऐसे भी हैं जो संस्कृत से लिए गए हैं परन्तु संस्कृत से हिंदी तक आते - आते कुछ परिवर्तित हुए हैं। और संस्कृत से हिंदी में प्रयोग किये गए शब्दों के शुद्ध रूप व परिवर्तित रूप को तत्सम व तद्भव नाम से जाना जाता हैं। जिनका विस्तृत अध्ययन हम आगे करेंगे।
तत्सम शब्द की परिभाषा -
तत्सम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं, तत + सम। यहाँ पर तत का अर्थ हैं उसके,और सम का अर्थ हैं समान, अर्थात उसके समान। अर्थात जो शब्द संस्कृत से हिंदी में ज्यों के त्यों आए हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। यदि हम तत्सम के शाब्दिक अर्थ में जाए तो, वे संस्कृत शब्द जो मूल रूप में अर्थात संस्कृत भाषा के समान ही हिंदी भाषा में आएं हैं तत्सम शब्द कहलाते हैं।
जैसे - अग्निष्ठिका
आर्द्रक
चक्षु
इक्षु
चत्वारिंशतः इत्यादि।
तद्भव शब्द की परिभाषा -
तद्भव शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना हैं, तत + भव। तत का अर्थ हैं उसके, और भव का अर्थ हैं
उत्पन्न विकसित। अर्थात उससे उत्पन्न या विकसित। अर्थात जो शब्द संस्कृत से हिंदी शब्दावली में कुछ परिवर्तन के साथ आए हैं वे तद्भव शब्द कहलाते हैं। अन्य शब्दों में संस्कृत के वे शब्द जो समय व परिस्थिति के अनुसार कुछ परिवर्तित रूप में हिंदी भाषा में प्रयोग किये जाते हैं, वे तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे - अँगीठी
अदरक
आँख
ईख
चालीस इत्यादि।
इन्हीं परिभाषा के आधार पर तत्सम - तद्भव शब्दों के अन्य उदाहरण-
तत्सम तद्भव
अक्षर - अच्छर
अँगुष्ठिका - अँगूठी
अर्धपूरक - अधूरा
आम्र - आम
अर्ध - आधा
आम्रचूर्ण - अमचूर
आमलकः - आँवला
आदित्यवार - इतवार
अम्लिका - इमली
ईर्ष्या - ईर्षा
इसिका - ईंट
उपालम्भ - उलाहना
उलूक - उल्लू
उज्जवल - उजला
उष्ट्र - ऊँट
उलूखन - ओखली
उतिष्ठ - उठ
उच्च - ऊँचा
ऋक्ष - रीछ
ऋक्ष - रीछ
ऐक्य - एक
कच्छप - कछुआ
काकः - कौआ
कर्पूर - कपूर
कपोत - कबूतर
कण्टक - काँटा
कुक्षि - को
कज्जल - काजल
कंकण - कंगन
कुंज्जिका - कुँज
कोकिल - कोयल
कुम्भकार - कुम्हार
काष्ठपुतलिका - कठपुतली
केदारिका - क्यारी
कथानिका - कहानी
कूर्दन - कूदना
कीदृश - कैसा
कर्ण - कान
खर्पर - खप्पर
खगायतन - खोता
खनि - खान
खंडगृह - खंडहर
खर्जू - खुजली
गोपालक - ग्वाला
गर्दभ - गदहा
गर्भिणी - गाभिन
गोंदुक - गेंद
गणना - गिनना
ग्रीवा - गर्दन
गैरिक - गैरु
गृह - घर
गुहा - गुफा
गौर - गोरा
ग्रंथि - गाँठ
गोधूम - गेहूं
गर्गर - गागर
घंटिका - घंट
घृत - घी
घट - घड़ा
घोटक - घोडा
घृषण - घिसना
घृणा - घिन
चतुष्पद - चौपाया
चैत्र - चैत
चणक - चना
चञ्चु - चोंच
चर्वण - चबाना
चन्द्रिका - चांदनी
चक्षते - चाहे
चरित्र - चरित
चतुर्दश - चौदह
चौतुर्थभागिक - चौथाई
चटिका - चिड़िया
चिक्कण - चिकना
चतुष्षष्ठी - चौसठ
छाँह - छाया
छिद्र - छेद
छादन - छाजन
छत्र - छत
छत्रक - छाता
छेदनी - छेनी
ज्येष्ठ - जेठ
जमाता - जवाई
जिह्वा - जीभ
ज्वलन - जलना
ज्योति - जोत
जंघा - जांघ
जाग्रण - जागना
जृम्भिका - जम्हाई
जाड्य - जाड़ा
जंबुल - जामुन
जुष्ट - झूठा
जालक - झरोखा
जीर्ण - झीना
झटिति - झट
झामक - झाँवा
झणत्कार - झनकार
झरन - झरना
झज्झर - झंझर
टिट्टिभी - टिटिहरी
टांकशाला - टकसाल
डाह - डर
तुन्द - तोंद
तरवारि - तलवार
ताम्र - तांबा
तिथिवार - त्यौहार
तड़ाग - तालाब
त्वरित - तुरंत
तृण - तिनका
तीक्ष्ण - तीखा
तिक्त - तीता
तिरश्च - तिरछा
तीर्थ - तीरथ
ताम्बूलिका - तमोली
तर्कन - ताकना
तित्तिरि - तीतर
तादृश - तैसा
दंष - डंका
दीपशलाका - दीया सलाई
दंतधावन - दातून
दुग्ध - दूध
दूर्वा - दूब
दंत - दांत
दौहित्र - दोहिता
दशम - दसवाँ
दष्ट्रिका - दाढ़ी
दर्शन - दरसन
धन्नश्रेष्ठी - धन्नासेठ
धरित्री - धरती
धूलि - धूल
धूम्र - धुआँ
धृष्ठ - ढीठ
धनिका - धनिया
धान्य - धान
धर्म - धरम
ध्वनि - धुन
नकुल - नेवला
निद्रा - नींद
नव्य - नया
नासिका - नाक
नारिकेल - नारियल
निष्ठुर - निठुर
निम्ब - नीम
नख - नाख़ून
नप्तृ - नाती
निर्गलना - निगलना
नयन - नैन
निर्वहण - निभाना
नृत्य - नाच
निम्बक - नींबू
पर्यङ्क - पलंग
प्रतिवासी - पडोसी
पक्ष - पंख
पठ - पढ़ना
पर्ण - पन्ना
पक्व - पक्का
पर्पटी - पपड़ी
पक्षी - पंछी
पिपासा - प्यासा
प्रहेलिका - पहेली
पृष्ठ - पीठ
पदाति - पैदल
प्रस्तर - पत्थर
पीठिका - पीढ़ी
प्रथिल - पहला
प्रस्विन्न - पसीना
पृच्छन्न - पूछना
पिप्पल - पीपल
पूर्व - पूरब
फाल्गुन - फागुन
फुल्लन - फूलना
बालुका - बालू
बलिवर्द - बैल
बधिर - बहरा
ब्याह - विवाह
बहुत्व - बहुत
बहिर - बाहर
बाहु - बाँह
भाद्र - भादों
भृकुटि - भौं
भ्रमर - भँवरा
भ्राता - भाई
भिक्षा - भीख
भिक्षुक - भिखारी
भल्लुक - भालू
भगिनी - बहन
भुजा - बाँह
भद्र - भला
भक्त - भगत
मक्षिका - मक्खी
मुष्टि - मुठ्ठी
मश्रु - मूंछ
मरीच - मिर्च
मिष्ट - मीठा
मूषक - मूस
मौक्तिक - मोती
मेघ - मेह
मूल्य - मोल
मृतिका - मिट्टी
मातुल - मामा
मर्कटी - मकड़ी
मयूर - मोर
मुख - मुँह
मस्तिक - माथा
मत्स्य - मछली
मण्डूक - मक्खन
यव - जौ
युवा - जवान
यश - जस
योगी - जोगी
यमुना - जमुना
यति - जति
युक्ति - जुगति
रक्तिका - रत्ती
रुष्ट - रूठा
रक्षिका - राखी
रात्रि - रात
राज्ञी - रानी
रज्जु - रस्सी
रोटिका - रोटी
रिक्त - रीता
राजपुत्र - राजपूत
लक्ष - लाख
लौहकार - लोहकार
लुब्ध - लोभी
लवंग - लौंग
लवगुच्छ - लच्छा
लोक - लोग
लक्ष्मण - लखन
लज्जा - लाज
लोमशा - लोमड़ी
लेपन - लीपना
लक्ष्मी - लछमी
लागुड़ + यष्टि - लाठी
लशुन - लहसुन
लौह - लोहा
लक्षपति - लखपति
वक - बगुला
वल्स - बछड़ा
वणिक - बनिया
वृच्छिका - बिच्छु
वज्रांग - बजरंग
वरयात्रा - बारात
वैर - बैर
व्याघ्र - बाघ
वानर - बन्दर
वाष्प - भाप
वधू - बहू
विद्युत - बिजली
वार्ता - बात
व्यथा - विथा
शिष्य - शिस्य
शर्करा - शक्कर
शिंशपा - शीशम
श्यामल - सावँरा
शिर - सिर
शुष्क - सूखा
शाक - साग
शिला - सिल
शाप - श्राप
शूकर - सूअर
शीर्ष - शीश
शुक - सुआ
शप्तशती - सतसई
सार्थ - साथी
स्वर्णकार - सोनार
सप्तदश - सत्रह
ससर्प - सरसों
सर्प - साँप
सूची - सुई
स्वसुर - ससुर
संध्या - साँझ
सुपुत्र - सपूत
स्वजन - सज्जन
होलिका - होली
हृदय - हिय
हरिद्रा - हल्दी
हस्ती - हाथी
हस्त - हाथ
हरित - हरा
हीरक - हीरा
हास्य - हँसी
हट्ट - हाट
क्षीण - छीन
क्षत्रिय - खत्री
क्षत - छत
क्षति - छति
क्षेत्र - खेत
क्षीर - खीर
क्षण - छिन
क्षुरिका - छुरी
क्षोभ - छोभ
क्षुद्र - छोटा
त्रीणि - तीन
त्रयोदश - तेरह
श्रृंग - सींग
श्रृंगार - सिंगार
श्रावण - सावन
इस पाठ में तत्सम व तद्भव शब्दों की परिभाषा सहित हमने कुछ ही उदाहरण देंखे हैं, पर वास्तव में तत्सम व तद्भव शब्दों का कोष अति विस्तृत हैं।
तत्सम - तद्भव शब्दों के पश्चात् अब हम प्रत्यय शब्दों का अध्ययन करेंगे।
त्रीणि - तीन
त्रयोदश - तेरह
श्रृंग - सींग
श्रृंगार - सिंगार
श्रावण - सावन
इस पाठ में तत्सम व तद्भव शब्दों की परिभाषा सहित हमने कुछ ही उदाहरण देंखे हैं, पर वास्तव में तत्सम व तद्भव शब्दों का कोष अति विस्तृत हैं।
तत्सम - तद्भव शब्दों के पश्चात् अब हम प्रत्यय शब्दों का अध्ययन करेंगे।
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