व्याकरण के इसके पहले भाग "शब्द - सौष्ठव " में हमने पढ़ा कि किस तरह स्वर एक स्वतंत्र ध्वनि होती हैं। और व्यंजन स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं। तथा स्वरों व व्यंजनों के योग से अक्षर बनते हैं. और दो या दो से अधिक अक्षरों के योग से शब्द बनते हैं। अब इस भाग में हम पढ़ेंगे कि वाक्य कैसे बनते हैं। सामान्यतः दो या दो से अधिक शब्दों के योग से वाक्य बनते हैं। साथ ही हम वाक्य विभाजन, वाक्य भेद व वाक्य रूपांतरण का भी विस्तृत अध्ययन करेंगे। और वाक्य विचार अध्याय की शुरुआत हम वाक्य की परिभाषा से करेंगे।
वाक्य की परिभाषा -
सार्थक शब्दों का वह समूह जिसका अपना एक अर्थ निकलता हो वाक्य कहलाता हैं। अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह वाक्य कहते हैं।
जैसे - * भारत की राजधानी नई दिल्ली हैं।
* सिमरन के माता - पिता जयपुर में रहते हैं।
* हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा हैं।
* २ अक्टूबर को गाँधी जयन्ती मनायी जाती हैं।
* श्रीकृष्ण को नंदकिशोर भी कहा जाता हैं।
उपरोक्त उदहारण स्वरूप जो भी वाक्य दिए गए हैं। वे दो से अधिक सार्थक शब्दों के योग से मिलकर बने हैं।
तथा साथ ही इनका एक अर्थ भी निकलता हैं। अतः ये वाक्य हैं, ऐसे वाक्य जो पूर्ण अर्थ व्यक्त करते हैं।
वाक्य की विशेषताएं -
एक सार्थक वाक्य में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए।
( १ ) वाक्य में कम से कम एक कर्ता ( संज्ञा या सर्वनाम ) और एक क्रिया अवश्य होनी चाहिए।
( २ ) वाक्य शब्दों का ऐसा समूह होना चाहिए जिससे श्रोता को वाक्य के कहने का अभिप्राय स्पष्टतः समझ में आ जाएँ।
( ३ ) वाक्य में शब्दों का प्रयोग होना चाहिए।
( ४ ) वाक्य में तीन चीजों का होना आवश्यक होता है।
१ - आकांक्षा
२ - योग्यता
३ - सन्निधि
१- आकांक्षा - आकांक्षा का मतलब यहाँ पर अपेक्षा से हैं। अर्थात किसी भी वाक्य से ये अपेक्षा की जाती हैं कि वह पूर्ण अर्थ व्यक्त करें। वाक्य में प्रयोग किया गया शब्द समूह सुव्यवस्थित लिखा होना चाहिए। जिससे वाक्य सुस्पष्ट हो।
जैसे - बन्दर पेड़ केला खाया।
यह वाक्य पूर्ण अर्थ स्पष्ट नहीं करता हैं।
सही वाक्य - बन्दर ने पेड़ पर बैठकर केला खाया।
यह वाक्य पूर्ण अर्थ प्रकट करता हैं। कि बन्दर ने केला खाया वो भी पेड़ पर बैठकर। अतः ये वाक्य की आकांक्षा कहलाती हैं।
२ - योग्यता - यहाँ पर योग्यता से तात्पर्य हैं कि वाक्य से निकलने वाला अर्थ किसी भी प्रकार से अतार्किक या असम्भव ना हो।
जैसे - मछलियाँ जल से बाहर निकल आयीं।
यह वाक्य पूर्णतया असम्भव हैं क्योंकि मछलियां कभी भी स्वतः पानी से बाहर निकल कर नहीं आती हैं। अर्थात ये वाक्य मिथ्या भाषण कर रहा हैं।
सही वाक्य - मछलियाँ जल के बाहर कभी नहीं निकल कर आती हैं।
यह वाक्य सही अर्थ प्रकट करता हैं और यही वाक्य की योग्यता होती हैं। शब्दों को सुव्यवस्थित क्रम में लिखकर वाक्य के माध्यम से तार्किक अर्थ प्रकट करना ही वाक्य की योग्यता कहलाती हैं।
३ - सन्निधि - सन्निधि अर्थात सामीप्य। सन्निधि से तात्पर्य हैं की वाक्य में आये शब्दों के मध्य देशकाल, स्थिति व स्थान को लेकर समन्वय स्थापित होता हो। अर्थात वाक्य में शब्दों से स्पष्ट होने वाला अर्थ आपस में मेल रखकर सही अर्थ व्यक्त करता हो। ऐसा ना हो कि समय, स्थिति व स्थान लेकर अर्थ स्पष्ट ना हो।
जैसे - सुबह सूर्योदय शाम को अस्त होता हैं।
यह वाक्य पूर्णरूपेण अस्पष्ट हैं। क्योंकि इस वाक्य में समय व स्थान का समन्वय नहीं होता हैं।
सही वाक्य - सूर्योदय सुबह को होता हैं और सूर्यास्त शाम को होता हैं।
यह वाक्य सही अर्थ प्रकट होता हैं। क्योंकि इसमें स्थान और समय सही - सही लिखा गया हैं। और यही सामीप्य वाक्य मे प्रयुक्त किये गए शब्दों में होना चाहिए।
वाक्याँश -
कई बार पाठ्य पुस्तक पढ़ते समय एक शब्द आता हैं वाक्याँश। वाक्याँश अर्थात वाक्य का अंश। वाक्यांश का प्रयोग वहाँ पर किया जाता हैं। जब हम किसी बात को बड़े वाक्य में ना कहकर छोटे वाक्य में कहना चाहते हैं। जैसे - इधर बैठो। पर इस तरह के वाक्यों से पूरा अर्थ प्रकट नहीं होता हैं। यह वाक्य का एक अंश मात्र हैं इसलिए इसे वाक्यांश कहते हैं। पूरा वाक्य हैं - "नेहा मेरे पास आकर इधर बैठो " यह वाक्य का पूर्ण अर्थ प्रकट करता हैं .ये कुछ ऐसे वाक्य होते हैं जो वाक्य तो कहलाते हैं परन्तु वाक्य का पूर्ण अर्थ प्रकट नहीं करते हैं। इन्हें हम लघु वाक्य / वक्यांश भी कह सकते हैं।
वाक्यांश की परिभाषा -
वाक्य के अंश के रूप में शब्दों का ऐसा समूह जिसका अर्थ तो निकलता, परन्तु पूर्ण अर्थ नहीं निकालता हैं। वाक्याँश कहलाता हैं।
जैसे - * उधर जाओ।
* कम बोलो।
* कल आना।
* आस - पास रहना।
* तेज दौड़ों।
उपरोक्त दिए गए उदाहरणों में हमने देखा कि प्रत्येक वाक्य दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बना हैं। इसलिए वह वाक्य तो हैं परन्तु पूर्ण वाक्य नहीं हैं,क्योकि इन वाक्यों से पूर्ण अर्थ स्पष्ट नहीं होता हैं। जैसे - तेज दौड़ो। यहाँ पर तेज दौड़ो तो कहा गया हैं पर किससे और कहाँ दौड़ने को कहा गया हैं ये स्पष्ट नहीं होता हैं। इस तरह के वाक्यों को पूर्ण वाक्य ना कहकर वाक्य का अंश अर्थात वाक्यांश कहते हैं।
अभी ऊपर हमने पढ़ा कि वाक्य किसे हैं ? वाक्यांश किसे कहते हैं ? तथा वाक्य कैसे बनते हैं ? इन सब का अध्ययन करते हुए हमने ये भी जाना कि वाक्यांशों में अधिकतर कर्ता व कर्म का अभाव रहता हैं। वाक्यांशों का निर्माण क्रिया व क्रिया विशेषणों की सहायता से किया जाता हैं।
वाक्य निर्माण व वाक्यांश निर्माण के आधार पर ही वाक्य को विभजित किया गया हैं। या यह भी कहा जा सकता हैं कि क्रिया व कर्ता के आधार पर वाक्य का विभाजन सामान्यतः दो भागों में किया गया हैं। ( १ ) उद्देश्य। ( २ ) विधेय।
वाक्य को निम्नलिखित दो भागों में विभाजित किया गया हैं -
१ - उद्देश्य
२ - विधेय
( १ ) उद्देश्य -
जब हम कोई वाक्य लिखते हैं तो वाक्य में जिसके विषय में बात कही जाती हैं उसे वाक्य का उद्देश्य कहते हैं। अर्थात वाक्य में जो कर्ता होता हैं जिसके विषय में वाक्य के दूसरे भाग में बात कही जाती हैं वो वाक्य का उद्देश्य होता हैं।
जैसे - श्रीमती सुलेखा मिश्रा हिंदी की अध्यापिका हैं।
इस वाक्य में श्रीमती सुलेखा मिश्रा " उद्देश्य " हैं। क्योंकि वाक्य में श्रीमती सुलेखा मिश्रा के बारे में ही बताया गया हैं। यदि अन्य शब्दों में कहा जाये तो हम कह सकते हैं कि वाक्य में प्रयोग होने वाले संज्ञा व सर्वनाम शब्द जो कि कर्ता के रूप में प्रयुक्त होते हैं वही वाक्य का उद्देश्य कहलाते हैं। और वाक्य श्रीमती सुलेखा मिश्रा व्यक्तिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आती हैं। तथा साथ ही यह वाक्य की कर्ता भी हैं। वाक्य में सुलेखा मिश्रा के विषय में कहा गया हैं इसलिए ये वाक्य का उद्देश्य हैं।
( २ ) विधेय -
वाक्य के अन्तर्गत उद्देश्य के विषय में जो कहा जाता हैं उसे विधेय कहते हैं। अर्थात कर्ता के बारे में वाक्य के दूसरे भाग में जो बात बतायी जाती हैं वही विधेय कहलाती हैं।
जैसे - श्रीमती सुलेखा मिश्रा हिंदी की अध्यापिका हैं।
इस वाक्य में हम पहले ही बता चुके हैं कि श्रीमती सुलेखा मिश्रा उद्देश्य हैं। और इनके विषय में बताया गया हैं कि यह हिंदी की अध्यापिका हैं। अतः " हिंदी की अध्यापिका हैं। " यह वाक्य का विधेय होगा। क्योंकि जो कुछ भी संज्ञा, सर्वनाम व कर्ता के रूप में प्रयुक्त उद्देश्य के विषय जानकारी दी जाती हैं। वही वाक्य में विधेय कहलाता हैं।
उद्देश्य व विधेय के आधार पर वाक्य - विभाजन
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वाक्य उद्देश्य विधेय
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१ - सूरज पूरब दिशा से निकालता हैं। सूरज पूरब दिशा से निकालता हैं।
२ - अंजलि की लेख बहुत सुन्दर हैं। अंजलि की लेख बहुत सुन्दर हैं।
३ - विद्यालय की इमारत आकर्षक हैं। विद्यालय की इमारत आकर्षक हैं।
४ - तोता पेड़ पर बैठा हैं। तोता पेड़ पर बैठा हैं।
५ - राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे। राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे।
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उपरोक्त वाक्य विभाजन के उदाहरणों से स्पष्ट होता हैं कि वाक्य विभाजन वाक्य निर्माण के आधार पर किया गया हैं। जिसमें संज्ञा व सर्वनाम को उद्देश्य तथा कर्म, क्रिया व विशेषण को विधेय कहा गया हैं।
इसके बाद हम पढ़ेंगे कि वाक्य कितने प्रकार के होते हैं। सामान्यतः वाक्य कई प्रकार के होते हैं। वाक्य के प्रकारों को दृष्टि में रखते हुए, वाक्य के प्रकारों का वर्णन दो आधार पर किया गया हैं। जो इस प्रकार हैं -
( १ ) रचना आधार पर वाक्य के भेद
( २ ) अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
वाक्य के प्रकारों का वर्णन उपरोक्त इन्हीं दो आधारों पर किया गया हैं। एक वाक्य की रचना के आधार पर,कि वाक्य किस - किस तरह से लिखा गया हैं। तथा दूसरा वाक्य के अर्थ के आधार पर कि वाक्य से क्या अर्थ निकलता हैं। इन्हीं दो आधार पर वाक्य के अन्य कई प्रकारों का वर्णन व्याकरण में किया गया हैं। जो इस प्रकार हैं -
वाक्य के प्रकार
↓
↓-----------------------------------------------↓
↓ ↓
रचना के आधार पर अर्थ के आधार पर
↓ ↓
↓-----------------↓----------------↓ विधानवाचक वाक्य
सरल संयुक्त मिश्रित निषेधवाचक वाक्य वाक्य वाक्य वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य ↓ विस्मयादिबोधक वाक्य
संयोजक संयुक्त वाक्य आज्ञावाचक वाक्य
विभाजक संयुक्त वाक्य इच्छावाचक वाक्य
परिणाममसूचक संयुक्त वाक्य संकेतवाचक वाक्य
व्याख्यासूचक संयुक्त वाक्य संदेहवाचक वाक्य
विरोधसूचक संयुक्त वाक्य
( १ ) रचना के आधार पर वाक्य के प्रकार -
सर्वप्रथम वाक्य के प्रकारों का वर्णन रचना के आधार पर किया गया हैं।
रचना के आधार पर अर्थात वाक्य किस प्रकार से लिखा गया हैं। क्योंकि जब हम कुछ भी पढ़ते हैं या लिखते हैं तो हमारे समक्ष कई प्रकार के वाक्य आते हैं। जैसे कुछ वाक्य छोटे होते हैं। तो कुछ वाक्य बड़े होते हैं और कई बार ऐसे वाक्य भी दृष्टिगत होते हैं। जो दो या दो से अधिक छोटे - छोटे वाक्यों को मिश्रित करके बड़े वाक्य बनाये जाते हैं। इसी तरह के कई वाक्य हम लिखते और पढ़ते रहते हैं। वाक्यों की इसी रचना के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार बताये गए हैं। जो निन्मलिखित हैं।
( १ ) सरल वाक्य
( २ ) संयुक्त वाक्य
( ३ ) मिश्रित वाक्य
( १ ) सरल वाक्य -
वे वाक्य जिनमें एक ही उद्देश्य व एक ही विधेय होता हैं। अर्थात ऐसे वाक्य जिनकी रचना में संज्ञा व सर्वनाम के रूप में एक ही कर्ता , एक ही कर्म और एक ही क्रिया का प्रयोग किया जाता हैं। वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - हिमालय की चोटियां बर्फ से ढकी हुई हैं।
संस्कृत की अध्यापिका हमें बहुत अच्छा समझाती हैं।
मेरी बिल्ली सफ़ेद व काले रंग की हैं।
माँ हलवा पूरी बना रही हैं।
वह कल आगरा जाने वाली हैं।
उपरोक्त प्रत्येक वाक्य में आप देखेंगे कि एक कर्ता और एक क्रिया,कर्म ही हैं। उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट होता हैं कि सरल वाक्य एक सामान्य वाक्य होता हैं जिसमें किसी एक ही बात को सीधे व सरल ढंग से प्रस्तुत किया जाता हैं। इसमें अन्य किसी भी प्रकार के लघु व दीर्घ उपवाक्यों को नहीं जोड़ा जाता हैं। सरल वाक्य लिखते समय एक बार में एक ही बात को लिखा जाता हैं।
( २ ) संयुक्त वाक्य -
वे वाक्य जो दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को समुच्चयबोधक अव्ययों की सहायता से जोड़कर बनते हैं, संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। अर्थात जब दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को जोड़कर एक नए वाक्य का निर्माण किया जाता हैं। तो वह वाक्य संयुक्त वाक्य कहलाता हैं।
जैसे - वह कल आगरा जाएंगा और परसों को आगरा से सीधा दिल्ली के लिए रवाना होंगा।
आकाश साफ हो रहा था, तथा बादल छटने लगे और बादलों बीच से सूर्य की किरणें धरती को स्पर्श करने लगी।
श्रुति मधुर स्वर में गाती हैं तथा नृत्य भी अच्छा करती हैं।
कोयल भले ही कौए के समान दिखती हैं परन्तु कोयल का स्वर कौए के विपरीत मधुर होता हैं।
मोहित सुबह आठ बजे स्कूल जाता हैं और दोपहर में दो बजे घर आता हैं।
उपरोक्त दिए गए प्रत्येक उदहारण में आप देखेंगे कि किसी भी संयुक्त वाक्य का निर्माण दो या दो से अधिक सरल वाक्य या वाक्यांशों को जोड़कर किया गया हैं।
जैसे -
१ - सरल वाक्य - वह कल आगरा जाएगा।
सरल वाक्य - वह परसों को आगरा से सीधा दिल्ली के लिए रवाना होगा।
संयुक्त वाक्य - वह कल आगरा जाएगा और परसों को आगरा से सीधा दिल्ली के लिए रवाना होगा।
२ - सरल वाक्य - आकाश साफ़ हो रहा था।
वाक्यांश - बादल छटने लगे।
सरल वाक्य - बादलों के बीच से सूर्य की किरणें धरती को स्पर्श करने लगी।
संयुक्त वाक्य - आकाश साफ़ हो रहा था, तथा बादल छटने लगे और बादलों के बीच से सूर्य की किरणें धरती को स्पर्श करने लगी।
३ - सरल वाक्य - श्रुति मधुर स्वर में गाती हैं।
वाक्यांश - नृत्य भी अच्छा करती हैं।
संयुक्त वाक्य - श्रुति मधुर स्वर में गाती हैं, तथा नृत्य भी अच्छा करती हैं।
४ - सरल वाक्य - कोयल भले ही कौए के समान दिखती हैं।
सरल वाक्य - कोयल का स्वर कौए के विपरीत मधुर होता हैं।
संयुक्त वाक्य - कोयल भले ही कौए के सामान काली होती हैं परन्तु कोयल का स्वर कौए के विपरीत मधुर होता हैं।
५ - सरल वाक्य - मोहित सुबह आठ बजे स्कूल जाता हैं।
सरल वाक्य - वह दोपहर को दो बजे घर आता हैं।
संयुक्त वाक्य - मोहित सुबह आठ बजे स्कूल जाता हैं और दोपहर दो बजे घर आता हैं।
जैसा कि उदाहरणों व उदाहरणों की व्याख्या से स्पष्ट हो जाता हैं कि संयुक्त वाक्य समुच्चयबोधक अव्यय सहायता से बनाये जाते हैं। समुच्चयबोधक अव्यय के आधार पर ही संयुक्त वाक्य के पाँच प्रकार के होते हैं। जो इस प्रकार से हैं -
१ - संयोजक संयुक्त वाक्य - संयोजक अर्थात जोड़ने वाला। व्याकरण में संयोजक का अर्थ होता हैं, दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाला शब्द। शाब्दिक अर्थ के आधार पर जब दो अलग - अलग वाक्यों को संयोजक समुच्चयबोधक अव्यय के माध्यम से एक संयुक्त वाक्य में लिखा जाता हैं तो वह संयोजक संयुक्त वाक्य कहलाता हैं। इस वाक्य की विशेषता यह होती हैं कि जिन दो अलग वाक्यों को जोड़ा जाता हैं वे लगभग एक सामान या मिलता - जुलता अर्थ प्रकट करते हैं।
जैसे - १ - रितु फर्श पर फिसल गयी और उसके सिर पर चोट लग गयी।
२ - हमें स्वयं को सदैव अवगुणों से दूर रखना चाहिए तथा सद्गुणों को व्यवहार में लाना चाहिए।
३ - प्रश्न पत्र में दिए गए खंड ( क ) एवं खंड ( ख ) के सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
२ - विभाजक संयुक्त वाक्य - विभाजक अर्थात विभाजित करने वाला। विभाजक संयुक्त वाक्य एक ऐसा वाक्य जो दो अलग - अलग वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ता तो हैं परन्तु दोनों वाक्यों के विपरीत अर्थ प्रस्तुत करता हैं।
जैसे - १ - आप चाय पियेंगे या कॉफी।
२ - कल तुम्हारी परीक्षा हैं ना कि क्रिकेट मैच।
३ - मैंने इस प्रश्न का उत्तर याद तो किया था लेकिन उत्तर दे ना सका।
३ - परिणामसूचक संयुक्त वाक्य - जिन संयुक्त वाक्यों के दूसरे उपवाक्य को पहले उपवाक्य का परिणाम माना जाता हैं,परिणामसूचक संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - १ - वह सुबह जल्दी उठकर लखनऊ के लिए निकल गया था इसीलिए नाश्ता नहीं कर सका।
२ - बहुत तेज बारिश शुरू हो गयी हैं अतः मैं समय से आपके पास नहीं पहुँच पाऊँगा।
३ - शुभ विद्यालय के सभी नियमों का पालन करता हैं तभी तो वह सबका प्रिय छात्र हैं।
४ - व्याख्यासूचक संयुक्त वाक्य - जिन वाक्यों में सरलता से समझ में ना आने वाले कठिन वाक्य या वाक्यांशों के पश्चात् जैसे, अर्थात, मानो आदि शब्द लिखकर उनकी व्याख्या की जाती हैं वे व्याख्यासूचक संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - १ - " सत्यमेव जयते " अर्थात सच की सदैव विजय होती हैं।
२ - हमें सदैव माता - पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए, जैसे श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए चौदह वर्ष वनवास किया था।
३ - उस दैत्य समान मानव के पैर रखते ही धरा यूं कम्पन करने लगी मानो भूकंप आया हो।
५ - विरोधसूचक संयुक्त वाक्य - विरोधसूचक संयुक्त वाक्यों में दोनों वाक्यों के मध्य अपितु, वरन,किन्तु आदि शब्दों के द्वारा अर्थ विरोध दृष्टव्य होता हैं।
जैसे - १ - मैं बच्चों के साथ पिकनिक पर जाने वाला था पर नहीं गया।
२ - वह एक किताब लेकर मेरे पास आया था किन्तु मैंने वह किताब नहीं मंगवाई थी।
३ - वह मेरे घर दावत में नहीं आयी जबकि उसे आना चाहिए था।
( 3 ) मिश्रित वाक्य -
जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो, एक विधेय हो तथा एक से अधिक समापिका क्रियाएं हो मिश्रित वाक्य / मिश्र वाक्य कहलाते हैं। समापिका क्रियाएं अर्थात पूर्वकालिक क्रिया के बाद आने वाली क्रिया, जिससे कार्य के समाप्त होने का बोध होता हैं।
जैसे - १ - संस्कृत अध्यापिका ने कहा कि सभी शीघ्रातिशीघ्र अपना कक्षा कार्य पूर्ण करे।
२ - आभा कभी भी विद्यालय के नियमों के विरूद्ध आचरण नहीं कर सकती क्योंकि वह एक अनुशासित व आज्ञाकारी छात्रा हैं।
३ - यदि तुम अपने साथ अच्छा व्यवहार चाहते हो, तो तुम्हें दूसरे के साथ भी सद्व्यवहार करना चाहिए।
४- मुझे लगता हैं कि यह वहीँ गुड़िया हैं जो आपने जन्मदिन के उपहार में दी थी।
५ - वह लड़का, जो उधर से आ रहा हैं,वह मेरा प्रिय मित्र हैं, उसने मेरी सदैव सहायता की हैं।
ऊपर दिए गए प्रत्येक उदाहरण से स्पष्ट होता हैं कि विभिन्न शब्दों जैसे कि, क्योंकि, तो, जो, उसने, जिसने, यदि, अगर आदि से वाक्य,उपवाक्य, समापिका क्रियाओं को जोड़कर मिश्रित वाक्य बनाये जाते हैं।
वाक्य रूपान्तरण
संयुक्त वाक्य का सरल वाक्य में रूपान्तरण
१ - संयुक्त वाक्य - माँ स्वादिष्ट खाना बनाती हैं और बच्चों को बड़े प्यार से खिलाती हैं।
सरल वाक्य - माँ स्वादिष्ट खाना बनाकर बच्चों को बड़े प्यार से खिलाती हैं।
२ - संयुक्त वाक्य - बच्चा खेलते हुए गिर गया और बड़े जोर से रोने लगा।
सरल वाक्य - बच्चा खेलते हुए गिरकर जोर से रोने लगा।
३ - संयुक्त वाक्य - गाँधी जी ने अहिंसा का मार्ग अपनाया तथा देश आजाद किया।
सरल वाक्य - गाँधी जी ने अहिंसा का मार्ग अपनाकर देश आजाद किया।
४ - संयुक्त वाक्य - संध्या बहुत तेज दौड़ी फिर भी दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम ना आ सकी।
सरल वाक्य - संध्या बहुत तेज दौड़कर भी दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम ना आ सकी।
५ - संयुक्त वाक्य - मैं पिताजी को पत्र लिखना चाहती थी लेकिन नहीं लिख सकी।
सरल वाक्य - मैं पिताजी को पत्र लिखना चाहकर भी नहीं लिख सकी।
अभी तक हमने रचना के आधार पर वाक्य के भेदों के बारे में अध्ययन किया। तथा साथ ही वाक्य वाक्य रूपांतरण का अध्ययन भी किया। अब इसके पश्चात् हम अर्थ के आधार पर वाक्य के भेदों का अध्ययन करेंगे। जो इस प्रकार से हैं-
( २ ) अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार -
अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होते हैं।
( १ ) विधानवाचक वाक्य -
वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की सामान्य या विशेष जानकारी प्रदान की जाती हैं, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता हैं।
जैसे - तोता एकमात्र ऐसा पक्षी हैं जो मनुष्य की भांति बोल सकता हैं।
पृथ्वी के बाद मंगल ग्रह पर ही जीवन सम्भव हैं।
पृथ्वी गोल होती हैं।
आँवला विटामिन सी का मुख्य स्रोत होता हैं।
भगवान श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव की आठवीं सन्तान थे।
( २ ) निषेधवाचक वाक्य -
वे वाक्य जो किसी कार्य के ना होने का बोध कराते हैं, निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - बन्दर से गमला नहीं टूटा था।
यह चित्रकारी मेरी नहीं हैं।
मिष्ठी कल बाजार नहीं जाएँगी।
वह मिठाई ख़ुशी ने नहीं बनाई।
गुब्बारे वाला कल नहीं आयेंगा।
( ३ ) प्रश्नवाचक वाक्य -
जिन वाक्यों में किसी प्रकार का कोई भी प्रश्न पूछा जाता हैं,प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - श्रवण कुमार को किसने मारा था ?
राजा जनक के पास वह शिव धनुष किसने रखा था ?
श्री राम ने किसके झूठे बेर खाये थे ?
सबसे छोटा ग्रह कौन - सा हैं ?
वेद कितने होते हैं ?
( ४ ) विस्मयादिबोधक वाक्य -
जिन वाक्यों से किसी भी मनुष्य के भीतर हर्ष, उल्लास, क्रोध, आश्चर्य जैसे आकस्मिक भाव उत्पन्न होते हैं, वे वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - वाह ! कितना सुन्दर दृश्य हैं।
हुर्रे ! हम जीत गए।
ओह ! कितनी गहरी चोट लगी हैं।
अरे ! आप कब आये। \
शाबाश ! बहुत अच्छा खेलें।
( ५ ) आज्ञावाचक वाक्य -
जिन वाक्यों के माध्यम से किसी प्रकार की आज्ञा ली या दी जाती हैं, या किसी प्रकार की प्रार्थना, विनती, या अनुमति का भाव प्रकट होता हैं, तो वे वाक्य आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे - कृपया अंदर आइये।
गृह कार्य समय पर पूर्ण करें।
सुन्दर लेख बनायें।
हमारे घर पधार कर हमें अनुगृहीत करें।
क्या हम आपसे कुछ पूछ सकते हैं।
( ६ ) इच्छावाचक वाक्य -
जिन वाक्यों में किसी प्रकार की इच्छा, आशीर्वाद, आकांक्षा आदि व्यक्त की जाती हैं, इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - ईश्वर आपको समृद्धि दें।
नववर्ष आपके लिए ढेर सारी खुशहाली लाये।
मैं आपकी सफलता की शुभेच्छा करता हूँ।
यदि आप हमारा आमंत्रण स्वीकार करेंगे तो हमें अच्छा लगेंगा।
सदैव उन्नति करें।
( ७ ) संकेतवाचक वाक्य -
जिन वाक्यों से हमें किसी प्रकार के संकेत का बोध होता हैं ,वे वाक्य संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - तनु उधर पेड़ के पीछे छिपा हैं।
मैं वहां दोस्तों के साथ खेल रहा हूँ ।
आओ बेटा इधर आकर बैठ जाओ।
ये सारी सब्जियां उस तरफ एक टोकरी में रख दो।
हमारा घर यहाँ विद्यालय के पास में ही हैं।
( ८ ) संदेहवाचक वाक्य -
जिन वाक्यों से हमें किसी प्रकार का संदेह बोध होता हैं वे वाक्य संदेहवाचक कहलाते हैं।
जैसे - क्या हम पहले भी कहीं मिल चुके हैं।
शायद दरवाजे पर कोई हैं।
मुझे कुछ आवाज सुनायी दी।
पिताजी को अगर पता चला तो संभवतः हमें दंड देंगें।
कहीं आज बारिश ना होने लगें।
उपरोक्त हमने अर्थ और रचना के आधार पर वाक्य के प्रकारों का अध्ययन किया। वाक्य के अंतर्गत सर्वप्रथम हमने पढ़ा वाक्य क्या हैं, वाक्य निर्माण कैसे होता हैं, किस आधार पर वाक्य विभाजन किया जाता हैं, तथा वाक्य के कितने भेद होते हैं। अब जब हम वाक्य का गहन अध्ययन कर चुके हैं। तो अब हम आगे पढ़ेंगे कि वाक्य में जो कुछ भी लिखा या पढ़ा जाता हैं उसे क्या कहते हैं।जिसका अध्ययन हम अपने अगले भाग "वाच्य " के अंतर्गत करेंगे।
जिन वाक्यों से हमें किसी प्रकार के संकेत का बोध होता हैं ,वे वाक्य संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं।
जैसे - तनु उधर पेड़ के पीछे छिपा हैं।
मैं वहां दोस्तों के साथ खेल रहा हूँ ।
आओ बेटा इधर आकर बैठ जाओ।
ये सारी सब्जियां उस तरफ एक टोकरी में रख दो।
हमारा घर यहाँ विद्यालय के पास में ही हैं।
( ८ ) संदेहवाचक वाक्य -
जिन वाक्यों से हमें किसी प्रकार का संदेह बोध होता हैं वे वाक्य संदेहवाचक कहलाते हैं।
जैसे - क्या हम पहले भी कहीं मिल चुके हैं।
शायद दरवाजे पर कोई हैं।
मुझे कुछ आवाज सुनायी दी।
पिताजी को अगर पता चला तो संभवतः हमें दंड देंगें।
कहीं आज बारिश ना होने लगें।
उपरोक्त हमने अर्थ और रचना के आधार पर वाक्य के प्रकारों का अध्ययन किया। वाक्य के अंतर्गत सर्वप्रथम हमने पढ़ा वाक्य क्या हैं, वाक्य निर्माण कैसे होता हैं, किस आधार पर वाक्य विभाजन किया जाता हैं, तथा वाक्य के कितने भेद होते हैं। अब जब हम वाक्य का गहन अध्ययन कर चुके हैं। तो अब हम आगे पढ़ेंगे कि वाक्य में जो कुछ भी लिखा या पढ़ा जाता हैं उसे क्या कहते हैं।जिसका अध्ययन हम अपने अगले भाग "वाच्य " के अंतर्गत करेंगे।
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