ठंडी हवा ठंडौ पाणी ऊॅंचौ-नीचौ डाना
देवों की छै देव भूमि यौ मेरौ पहाड़ा
कण-कण में देव बसनि डान कना मन्दिरा
धूप बाती हुनै रै छै नदी नौल तीरा
ठंडी हवा ठंडौ पाणी-----------------
छजी रौ पहाड़ जब खिली रौ बुराॅंशा,
यौ पहाड़ देखि बुझै म्यर हिय की प्यासा।
बर्फीलो यौ डाना काना हरी भरी बुग्याला,
बांज खरसू क धुर जंगल,काफल खैजाला।
आलू गुटुक, मडवे रोटी, चहा गुड़ दगाड़ा,
देव की छै देव भूमि यौ मेरौ पहाड़ा।
दिन मास औनी रैनी रंग-रंग का त्यारा,
भोली रीति मीठी बोली म्यर पहाड़ न्यारा।
माघ मास घुघुति चैत फुलदेई को त्यारा,
सौन मास हरयाव भादों घी त्यारा।
रंगीली पिछौड़ी, पौजी हमैरि पछ्याणा,
देवों की छै देव भूमि यौ मेरौ पहाड़ा।
ठंडी हवा ठंडौ पाणी ऊॅंचौ-नीचौ डाना
देवों की छै देव भूमि यौ मेरौ पहाड़ा।
हरिद्वार,बद्रीनाथ और केदारनाथ,
धारी देवी, जागेश्वर, देव तुंगनाथ।
उत्तरायणी कौतिक देखला,जौलजीवी को मेला,
अल्मोड़े की नंदा देवी, देवीधुरा बग्वाला।
गढ़ कुमाॅंऊ गढ़माऊंनी एक छन पराणा
देवों की छै देव भूमि यौ मेरौ पहाड़ा।
ठंडी हवा ठंडौ पाणी ऊॅंचौ-नीचौ डाना।
ठंडी हवा ठंडौ पाणी ऊॅंचौ-नीचौ डाना
देवों की छै देव भूमि यौ मेरौ पहाड़ा
कण-कण में देव बसनि डाना काना मन्दिरा
धूप बाती हूनै रै छै नदी नौल तीरा
ठंडी हवा ठंडौ पाणी-----------------
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