"खामोशी कुछ कहती है"
खामोशी, क्या कभी किसी ने खामोशी को सुना हैं? बड़ा अजीब सा सवाल हैं। किसी ने खामोशी को सुना हैं, या नहीं पर खामोशी बोलती जरूर हैं।
खामोशी अक्सर उन भावनाओं को व्यक्त करती है जिन्हें शब्दों में बयाॅं करना मुश्किल होता है। यह एक गूढ़ भाषा है, जिसमें गहरे अर्थ छुपे होते हैं। खामोशी का एक अपना अलग ही आकर्षण होता है, जो दिल की बातों को बयान करता है। यह कभी-कभी सुकून देती है, तो कभी बेचैनी का कारण बन जाती है। खामोशी अक्सर तब बात करती हैं। जब दिल की ख्वाहिश होती हैं। कि कोई उसे दिल से समझे। खामोशी में इंसान अक्सर वो बातें भी व्यक्त कर जाता हैं। जिसे वो शब्दों में संभालना चाहता हैं। जिसे वो किसी से नहीं नहीं चाहता। खामोशी अक्सर उन अव्यक्त बातों, एहसासों, भावों का आईना बन जाती हैं। जिन्हें हम चाहते हैं, कि वहीं समझे, वहीं सुने जिससे हम कहना चाहते हैं। पर ऐसा होता नहीं हैं। शब्दों को तो होंठों पर आकर रोका जा सकता हैं। पर खामोशी अव्यक्त अभिव्यक्ति कर देती हैं।
कई बार खामोशी हमें हमसे मिलाती हैं। हमें खुद को और सामने वाले को समझने का मौका देती हैं। जब हम खामोश होते हैं, तो हमारे विचार और भावनाएँ हमारी आँखों और चेहरे पर झलकने लगते हैं। यह एक ऐसा माध्यम है जो बिना शब्दों के ही हमारी अंतस की हलचल को, हमारे भीतर के कोलाहल को, हमारे पक्षोपेक्ष को बड़ी आसनिसे बयां कर देता है। कई बार खामोशी एक गहरा संदेश देती है, जो हमारे आस-पास के लोग समझ पाते हैं।
खामोशी का महत्व हमारे रिश्तों में भी होता है। यह एक संकेत हो सकता है। कि हमें किसी के साथ समय बिताने की जरूरत है। या फिर हमें खुद के साथ कुछ वक्त बिताना चाहिए। खामोशी हमें आत्म-चिंतन करने का मौका देती है और हमारे जीवन में संतुलन बनाती है। खामोशी कई बार बिगड़ती हुई स्थिति को बिगड़ने से रोकने का प्रयास हैं।
अतः खामोशी का महत्व हमारे जीवन में बेहद खास है। यह हमारी भावनाओं का सच्चा प्रतिबिंब होती है। और हमें आत्म-मूल्यांकन का अवसर प्रदान करती है। खामोशी की भाषा को समझना एक कला है, जो हमारे दिल और दिमाग को एक नया दृष्टिकोण देती है। ये लेखन भी हमारी खामोशी की लिखित अभिव्यक्ति ही तो हैं। खामोशी जब मौखिक संप्रेषण नहीं पाती। उस स्थिति में वह किसी न किसी साहित्यिक विधा के रूप में लिखित अभिव्यक्त होती हैं। वह खामोशी ही हैं, जो चिंतन मनन को जन्म देती हैं।
इसीलिए कहते हैं। खामोशी बोलती हैं।
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