कवि ऋतुराज हिंदी साहित्य के एक जनवादी कवि कहे जाते हैं। क्योंकि ऋतुराज ने जनसामान्य की समस्याओं को अपने काव्य का मुख्य विषय बनाया। इनकी रचनाएं समकालीन कवियों की अपेक्षा अधिक पैसा, पारदर्शी तथा सटीक होती है।
जीवन परिचय
कवि ऋतुराज का जन्म 10 फरवरी सन् 1940 ई० में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। और राजस्थान के भरतपुर जनपद से ही उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। तथा आगे चलकर उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से ही अंग्रेजी में स्नातकोत्तर एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। कहा जाता है कि ऋतुराज ने 40 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया। तत्पश्चात सेवानिवृत्त होने पर वह जयपुर में ही रहे।
साहित्यिक रचनाएं
कवि ऋतुराज के अब तक आठ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें से प्रमुख हैं
कविता संग्रह
एक मरण धर्मा और अन्य।
सूरत निरत।
पुल और पानी।
लीला मुखारविंद।
पुरस्कार
कवि ऋतुराज को साहित्य सेवा के अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए। जो कि इस प्रकार से हैं -
सोमदत्त परिमल सम्मान, मीरा पुरस्कार, पहल सम्मान तथा बिहारी पुरस्कार।
साहित्यिक विशेषताएं
कवि ऋतुराज कल्पना लोक के कवि ना होकर यथार्थ जीवन के कवि कहे जाते हैं। उन्होंने समाज के उपेक्षित, शोषित, असहाय व पीड़ित लोगों की व्यथा, उनके दुखों को अपनी वाणी प्रदान की। ऋतुराज जी ने सदैव सामाजिक परिवेश की समस्याओं को अपने काव्य में स्थान दिया। उन्होंने सामाजिक परिवेश के यथार्थ का वर्णन किया। उन्होंने सदैव अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक परिवेश में जन सामान्य की मौन समस्याओं को उजागर किया। तथा अपने जीवन के अनुभवों से समस्त समस्याओं से बचने का संदेश भी दिया।
भाषा शैली
ऋतुराज की भाषा जन सामान्य की सरल, सादगीपूर्ण, मधुर व गंभीर रही है। ऋतुराज जी ने भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया है। उनके काव्य में हमें तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का भी प्रयोग किया है। ऋतुराज जी के काव्य में अलंकारों का प्रयोग कम दिखाई देता है। उन्होंने अपने विषय की गंभीरता के अनुसार शब्द की अभिधा, लक्षणा व्यंजना तीनों शब्द शक्तियों का सफल प्रयोग किया है।

0 Comments