चिड़ियां रानी

चिड़िया रानी 


चिड़िया रानी , बाल कविता


चिड़िया रानी ये बतलाओ ,
क्या तुम्हें नहीं लगता डर। 
चिड़िया रानी , बाल कविता
विशाल गगन में उड़ान हो भरती ,
कितने छोटे तुम्हारे पर। 
नन्हीं -नन्हीं चिड़िया तुम तो ,
छोटे -छोटे दाने चुगती हो। 
चिड़िया रानी , बाल कविता
फिर भला किस तरह अकेले ,
  दिन भर उड़ती रहती हो। 
 मैं तो माँ की बिन ऊँगली थामे ,
  एक कदम ना चल पाती हूँ।
  और तुम दिन भर सैर करके ,
  साँझ ढले घोसलें पर आ जाती हो।  

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