बंदर ने सीखा सबक

एक बहुत ही घना जंगल था। उसमें सभी जानवर बड़े प्यार से साथ -साथ रहते थे। यहाँ तक कि जंगल का राजा शेर भी जानवरों का बहुत ख्याल रखता था। और खुद भी जंगल के बाहर जाकर जंगल के आस -पास के जानवरों का शिकार किया करता था। सभी जानवर आपस में मिल -जुलकर रहा करते थे। जंगल में चारों ओर सुखद वातावरण था।


तभी एक दिन अचानक से कहीं दूसरे जंगल से एक बंदर का बच्चा कहीं से भटकता हुआ जंगल में आ जाता हैं। वह बहुत कमजोर और भूखा था। जंगल के सभी जानवर बच्चे को देख कर चारों ओर से घेर लेते हैं ,तथा उनमें से खरगोश दौड़ कर जाता हैं और जंगल के राजा शेर को सारी बातें बताता हैं कि कहीं बाहर से एक छोटा बंदर हमारे जंगल में आ गया हैं। शेर खरगोश के साथ उस जगह पर पहुँचता हैं और उस छोटे बंदर को देखता और साथ ही यह आदेश देता ही की जब तक ये बंदर ठीक नहीं हो जाता सभी जानवर मिलजुल कर इसका ख्याल रखेंगें और सबसे पहले इसका इलाज किया जाएँ और अन्य बंदरों से कहता हैं कि अभी ताज़े और मीठे फल लेकर इसे खिलाओ ,जैसे ही यह छोटू ठीक जाएगा हम इसे वापस इसके माता -पिता के पास भेज देंगें। और तभी से ही उसका नाम छोटू पड़ गया।

सभी ने छोटू का खूब ख्याल रखा ,और उसे फल भी खिलाएं। जंगल के बूढ़े जानवरों ने छोटू का इलाज किया। देखते -देखते छोटू एकदम स्वस्थ हो गया। और उसको जंगल के सभी जानवरों से लगाव होने लगा। जब शेर राजा उसे उसके माता -पिता के पास भेजने की बात करता तो वह कोई न कोई बहाना बनाकर बात को टाल देता अब तो सभी को उससे स्नेह था। वह अन्य बंदरों के साथ डाली -डाली उछल -कूद करता , हाथी की पीठ पर बैठ कर सारा जंगल घूमता , जानवरों के साथ छुप्पन -छुपाई खेलता , बूढ़े भालू के साथ शरारतें करता। अब तो छोटू मानो उस जंगल के परिवार का हिस्सा बन चुका था। जंगल में सभी छोटू को बहुत प्यार करते उसकी हर बात मानते।

धीरे -धीरे समय बीतता गया और अब छोटू छोटा बच्चा नहीं ; बड़ा हो गया था। और ना ही अब वो बचपन की तरह शरारत किया करता था। अब छोटू बहुत बलशाली हो गया था। अब वो बचपन की तरह सारा दिन इधर -उधर खेलता नहीं था, वो तो अब सारा दिन सबको परेशान किया करता था ,सब को अपनी ताकत से डराया करता। वो बहुत जिद्दी हो गया था। सभी पशु -पक्षी उससे परेशान हो गए थे। सभी ने तय किया कि अब वह मिलकर जंगल के राजा से छोटू की शिकायत करेंगें। और सभी पशु -पक्षी मिलकर जंगल के राजा शेर के पास पहुँचते हैं। और छोटू की सारी शिकायते करते हैं छोटी -छोटी चिड़ियाँ भी शेर राजा को बताती हैं कि किस तरह से छोटू उनके घोंसलें तोड़ देता हैं तथा उनके नन्हें बच्चों को नीचे गिरा देता हैं। राजा ने सबकी बात सुनी और जंगल के सबसे बूढ़े भालू से कहा कि वह जाकर छोटू को समझाएं ,पर भालू भी मना करते हुए कहता कि महाराज वह बहुत जिद्दी हैं किसी की नहीं सुनता हैं ,मैं तो जब दोपहर में सोता हूँ तो यह पेड़ पर से मेरे ऊपर फल फेंका करता हैं। अब आप ही कुछ कीजिए। शेर थोड़ी देर तक कुछ सोचता हैं और फिर सबसे वापस अपनी -अपनी जगह चले जाने को कहता हैं ,और कल सुबह बड़े पेड़ के नीचे सबको मिलने को कहता हैं।

सुबह होते ही सारे जानवर जंगल के बीचों -बीच बड़े पेड़ के नीचे इकठ्ठा हो जाते हैं। तभी वहां जंगल का राजा शेर भी आ जाता हैं और सभी को अपनी एक योजना के बारे में बताता हैं शेर सबको कहता हैं कि छोटू बचपन से ही हमारे साथ रह रहा हैं हम सभी छोटू बंदर से बहुत प्यार करते हैं मुझे भी वह बहुत प्यारा हैं। इसलिए हम उसे सजा नहीं दे सकते हैं पर हम उसे ऐसे ही माफ़ भी नहीं कर सकते हैं इसलिए सब उसे सबक सिखाएंगें जिससे छोटू पहले जैसे हमारा नटखट हो जाये। शेर की बात सुनकर सभी पशु -पक्षी तैयार हो जाते हैं तभी बूढ़ा भालू कहता हैं कि --
भालू - पर महाराज कैसी योजना ,और हमें क्या करना होंगा ?
शेर - देखो छोटू को अगर सबक सीखाना हैं तो आप सभी कुछ समय उससे बात करना बंद कर दो ,उसे देख कर भी अनदेखा कर दो , वह जिस जगह पर भी आता हैं आप सभी वहां से उठकर दूर चले जाओ , उसके साथ ऐसा व्यवहार करो कि उसे आप सभी की शिकायत लेकर मेरे पास आना पड़े और तब मैं उसे ये जंगल छोड़कर अपने घर चले जाने को कहूंगा ,
भालू - पर महाराज कैसी योजना ,और हमें क्या करना होंगा ?
शेर - देखो छोटू को अगर सबक सीखाना हैं तो आप सभी कुछ समय उससे बात करना बंद कर दो ,उसे देख कर भी अनदेखा कर दो , वह जिस जगह पर भी आता हैं आप सभी वहां से उठकर दूर चले जाओ , उसके साथ ऐसा व्यवहार करो कि उसे आप सभी की शिकायत लेकर मेरे पास आना पड़े और तब मैं उसे ये जंगल छोड़कर अपने घर चले जाने को कहूंगा ,

इतना कहकर शेर चला जाता हैं और तभी वहां छोटू सबको ढूंढता हुआ आ जाता हैं और उसे देखते ही सब वहां से हैं ,छोटू सबको आवाज़ देता हैं पर कोई उसकी ओर देखता तक नहीं हैं। छोटू अपने दोस्तों के पीछे जाता पर वह भी उससे बात नहीं करते हैं , वह भालू को तंग करता हैं पर वह भी उसे डांटता नहीं हैं , छोटू हैरान रह जाता हैं , पर छोटू कहाँ मानने वाला था वह तभी जोर -जोर से रोने लगता हैं पर सबको पता था कि यह नाटक कर रहा हैं ,और कोई भी उसके पास तक नहीं गया। उसे बहुत बुरा लगा , उसने निर्णय किया की वह सब से जबरदस्ती बात करेंगा ,वह हर एक के पास गया और उनसे जिद्द करके बात करने तभी सबने उसे डांटा , उस पर हाथ उठाया ,वह गुस्से में सीधा जंगल के राजा शेर के पास चला गया; और शेर राजा से शिकायत करने लगा राजा ने उसकी सारी शिकायते सुनी और कहाँ देखो छोटू तुमने सभी जंगल वासियों बहुत परेशान किया हैं ,और तुम्हारी ही तरह वो सब भी मेरे पास आये थे और तुम्हारी शिकायते कर रहे थे ,तुम तो जानते ही हो कि तुम इस जंगल के रहने वाले नहीं हो ,फिर भी तुमको सबने स्नेह से रखा पर अब सब तुमसे तंग आ चुके हैं और सब यहीं चाहते हैं की तुम अब अपने माता -पिता के पास लौट जाओ और अब इसी में सबकी भलाई भी हैं वैसे भी अब यहाँ तुमसे कोई बात भी नहीं करता ही तुम्हारी किसी को परवाह हैं अच्छा यहीं होंगा तुम अपने घर चले जाओ,और राजा होने नाते यहीं मेरा आदेश भी हैं तुम्हें जाना ही होंगा।
ये बाते सुनकर छोटू को बहुत दुःख होता हैं और वह जंगल छोड़ कर जाने लगता हैं सभी को बुरा लगता पर कोई भी उससे मिलता नहीं हैं। वह चला जाता हैं। अपने घर जाकर भी उसका मन नहीं लगता हैं और वह हरपल उदास रहा करता हैं ,उसकी उदासी देख कर छोटू की माँ ने पूंछा बेटा क्या बात है तुम उदास से क्योँ रहते हो क्या तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लगता हैं।
छोटू -माँ वह सब मुझे बहुत प्यार करता थे ,मेरा ख्याल रखते थे ,उनकी सब बहुत याद आती है।
माँ -जब वो सब तुम्हें इतना प्यार करते थे तो तुमसे नाराज क्योँ हो गए ?
छोटू -क्योंकि माँ मैंने सबको बहुत परेशान किया हैं ,मैं कभी किसी का कहना भी नहीं मानता था। और सब पर अपनी ताकत का दुरूपयोग करता था ,पक्षियों के घोंसले तोड़ता था ,माँ मैं समझ गया हूँ गलती मेरी ही थी माँ मैं वापस जा रहा हूँ मेरा घर वहीँ हैं मैं जाकर सबसे माफ़ी मांग लूँगा।
ये बाते सुनकर छोटू को बहुत दुःख होता हैं और वह जंगल छोड़ कर जाने लगता हैं सभी को बुरा लगता पर कोई भी उससे मिलता नहीं हैं। वह चला जाता हैं। अपने घर जाकर भी उसका मन नहीं लगता हैं और वह हरपल उदास रहा करता हैं ,उसकी उदासी देख कर छोटू की माँ ने पूंछा बेटा क्या बात है तुम उदास से क्योँ रहते हो क्या तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लगता हैं।
छोटू -माँ वह सब मुझे बहुत प्यार करता थे ,मेरा ख्याल रखते थे ,उनकी सब बहुत याद आती है।
माँ -जब वो सब तुम्हें इतना प्यार करते थे तो तुमसे नाराज क्योँ हो गए ?
छोटू -क्योंकि माँ मैंने सबको बहुत परेशान किया हैं ,मैं कभी किसी का कहना भी नहीं मानता था। और सब पर अपनी ताकत का दुरूपयोग करता था ,पक्षियों के घोंसले तोड़ता था ,माँ मैं समझ गया हूँ गलती मेरी ही थी माँ मैं वापस जा रहा हूँ मेरा घर वहीँ हैं मैं जाकर सबसे माफ़ी मांग लूँगा।

यह कहकर वह जंगल की ओर निकल पड़ा शेर राजा के पास पहुंचकर उसने राजा से अपनी गलतियों की माफ़ी मांगी और राजा जी से कहा की वह सभी को यहाँ एकत्रित होने का आदेश दे वह सब से क्षमा मांगना चाहता , शेर तोते के हाथों सबको एक जगह एकत्रित होने का संदेशा भिजवाता हैं और थोड़ी ही देर में सभी पशु -पक्षी इकट्ठा हो जाते है. और छोटू को वहां देख सब हैरान हो जाते हैं ,तभी छोटू सबसे अपनी हर गलती की माफ़ी हैं और सबके सामने रोने लगता हैं तथा सबसे ये वादा करता हैं की वह अब आगे से परेशान नहीं करेंगा। उसकी ये बाते सुनकर सभी खुश हो जाते हैं और छोटू को गले लगा लेते हैं तभी बूढ़ा भालू छोटू को बताता हैं कि उसके बाद हमें भी उसकी बहुत याद आयी और हम उसे इस जंगल से निकालना नहीं चाहते थे , ये सब तो शेर राजा ने तुम्हें सबक सिखाने के लिए छोटी सी योजना बनाई थी जिसमें हम सबने भी उनका साथ दिया ,और हमें ख़ुशी हैं कि तुमने अपनी गलती स्वीकार की और वापस आ गए। अब हम तुम्हें यहाँ से कभी कहीं नहीं जाने देंगे। इसके बाद सभी पशु -पक्षी पहले हंसी ख़ुशी साथ -साथ रहने लगते हैं। और छोटू को भी सही सबक मिलता हैं।
हमने सीखा -
तो बच्चों हमें इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं की कि हमें कभी भी उन लोगों को दुःख नहीं देना चाहिए ; जो हमें बहुत प्यार करते हैं तथा सदा सही समय पर ही हमें अपनी गलतियों की क्षमा लेनी चाहिए।
हमने सीखा -
तो बच्चों हमें इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं की कि हमें कभी भी उन लोगों को दुःख नहीं देना चाहिए ; जो हमें बहुत प्यार करते हैं तथा सदा सही समय पर ही हमें अपनी गलतियों की क्षमा लेनी चाहिए।
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