1-
उड़ रही थी आसमां में तन्हा पंछी की तरह ,
इस उम्मीद में कि किसी शाख पर तो होगा आशियाँ मेरा।
आज मुझ पंछी को घरौंदा मिल गया ,
बन गया जिन्दगी की शाख पर आशियाँ मेरा।
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2-
लहरें जो ख्वाहिशें कहलाती हैं समंदर की ,
ख़ामोशी से कहती हैं लहरों को निहारने वालों से ,
मैं भी चाहती हूँ किसी किनारे पर ठहर जाना ,
पर क्या करूँ मेरी कोई मंजिल नहीं हैं /
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3-
जब भावनाएं भटकती हैं दिल की राहों पर ,
और दस्तक देती हैं धड़कनों की दहलीज पर ,
तब ख्वाहिश होती हैं काश की धड़कनों की जुबाँ होती ,
तो कम से कम हमारे शब्द यूं जाया तो ना जाते ,
और हर दिल समझ जाता प्यार की भाषा निगाहों से कहने पर।
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4-
हर चेहरे पर प्यार की तलाश को मोहब्बत नहीं कहते ,
दिख जाएँ गर किसी नजर में अक्स अपना ,
तो उसे दर्पण नहीं कहते ,
जिन निगाहों में मुझे मेरा अक्स दिखाई देगा ,
यकीनन वो निगाहें कुछ खास होंगी ,
क्योंकि हर कांच के टुकड़े को आईना नहीं कहते।
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5-
हर किसी के लबों पर हमारा ही अफसाना होगा ,
हर लफ्ज़ तेरा मेरे प्यार का तराना होगा ,
तेरी पलकें और ये बाँहों का साया तेरा ,
मेरे लिए मेरे प्यार का आशियाना होगा।
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6-
जो ढूंढना चाहूँ ख्वाबों में आपको ,
तो सिर्फ एक ख्वाब नज़र आता हैं ,
जो महसूस करना चाहूँ तन्हाइयों में आपको ,
तो बस एक एहसास साथ आता हैं ,
मुझे ख्वाहिश हैं आपको देखने की उस चाँद पर ,
पर क्या करूँ उसमें कमबख्त दाग नज़र आता हैं।
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7-
ये रात की ख़ामोशी में ,
सांसें तक हवाओं में गूँज उठती हैं ,
जो कभी सुनाई देती हैं धड़कनें मेरी ,
कौन हैं मैं घबराकर पूँछ उठती हूँ।
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8-
आज न जाने क्यों एक अजनबी सी ख्वाहिश ,
रह -रह कर दिल में मचल रही हैं ,
आपकी यादों के साथ चलती हैं धड़कनें मेरी ,
आज हर धड़कन करवट बदल रही हैं ,
हर दिन , हर घड़ी , हर लम्हा ,
आँखें तकती हैं सिर्फ आपकी ही राहें ,
और हर कदम पर बिखरी हैं आपकी यादें पंखुड़ियों की तरह ,
जिन्हें आँचल में समेटने को बेकल हैं मेरी बाहें।
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9-
कुछ बेकरार सी हैं तन्हाईयाँ ,
कुछ अलसाई सी हैं अंगड़ाइयाँ ,
उस पर ये रिमझिम बूँदों का साज़ ,
ना जाने क्यों आज गुनगुना रही हैं मेरी खामोशियाँ,
यूं ही बिन बात के मुस्कुराती हूँ मैं ,
कभी बंद पलकों से तो कभी खुली निगाहों से सपने सजाती हूँ मैं ,
निगाहें देखती हैं राह,आपकी आने की राहों में ,
बेकल हैं कुछ एहसास खो जाने को प्यार की पनाहों में।
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10-
गर दुनिया से डरते हो ,
तो आओ तन्हाइयों में मिलते हैं ,
गर लब खामोश हैं तो क्या ,
हम नजरों की जुबाँ पढ़ते हैं ,
जो कहीं शर्म से झुक जाएं निगाहें तो क्या ,
आओ ना हम भावों में बातें करते हैं।
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11-
किसी के लफ्ज़ होगें ,किसी का सुर होगा ,
किसी की आवाज़ तो किसी का साज होगा ,
गर मेरी मोहब्बत में जरा भी कशिश होगी तो ,
हर तराने में आपको मेरी मोहब्बत का एहसास होगा ,
गर समझ पाएं मेरी मोहब्बत इन तरानों आप ,
तो इकरार-ए -मोहब्बत का ये एक अलग अंदाज होगा।
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12-
तन्हाईयों में ख्वाब सजाते -सजाते ,
तन्हाइयों को ही हमसे मोहब्बत हो गयी ,
जो सपनों की दुनिया सजायी थी हमने ,
वो खुद अपने सपनों में कहीं खो गयी ,
इन्तजार था कभी तो समझेगें वो हमारी ख्वाहिशों को ,
वो ख्वाहिशें भी दामन छुड़ा कर चली गयी ,
हमें अपनी जिन्दगी से मोहब्बत नहीं हैं अब ,
पर ना जाने क्यों मौत भी हमसे खफा हो गयीं।
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13-
आप रहते हो दिल में मेरे धड़कन की तरह ,
पलकों के झरोखों में ख्वाबों की तरह ,
धड़कनें धड़कती हैं सांसों की लय पर ,
और आप धड़कनों में बसे हो सांसों की तरह।
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14-
मैंने ख़ामोशी को सुना हैं ,
इसलिए तो अक्सर खामोश रहा करती हूँ ,
मुझे ख्वाहिश हैं उस चाँद को पढ़ने की ,
तभी तो हर रात तन्हा रहा करती हूँ ,
पर क्या करूँ मैं नजरों की जुबाँ पढ़ती हूँ ,
तभी तो चाँद में भी नजरें ढूँढा करती हूँ।
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15-
बिखर रही हैं चांदनी के साथ मतवाली रात ,
काँपते हुए लबों से कहती हैं बहकाने की बात ,
कदम -कदम बढ़ाऊं जो मैं चंदा को देखकर ,
हर कदम पर यूँ लगे कि चाँद मेरे साथ चले ,
जब उड़ाती हैं हवाएँ मेरा आँचल तो ,
दिल चाहता हैं कि आप चुपके से आकर थाम ले ,
चाँदनी जो तन्हाई में मुझसे बाते करती हैं ,
ख्वाहिश होती हैं उस पल आप अपने होठों से मेरा नाम ले।
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16-
किसी चीज को चाहकर भुला दूँ ,
ऐसी मेरी चाहत नहीं।
मेरी निगाहों का मेरे दिल से वास्ता ना हो ,
ये मेरी नजरों की नजाकत नहीं।
हम हमारी रहगुजर का कारण हो ,
ऐसी जिन्दगी की हकीकत नहीं।
जिन्दगी की राह पर जब रिश्ते बेईमान से होने लगे ,
तो ये रिश्तों की शराफत नहीं।
मैं अपने शब्दों को स्याही के समन्दर पर लेकर छोड़ दूँ ,
यकीन कीजिएगा ऐसी मेरी फितरत नहीं।
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17-
मैं खोई थी आप ही ,
पवन कुछ आकर बोल गयी ,
होठों की मुस्कान देखो ना ,
दिल का राज यूं खोल गयी ,
एक सपना जो दिल सजा रहा था,
मेरे अंग -प्रत्यंग से झलक रहा था ,
पलकें शर्म से झुकी जा रही थी ,
और दिल रह -रह कर धड़क रहा था ,
लाख बच थी सबकी नजरों से ,
पर होठों की मुस्कान सब कुछ कह गयी ,
चेहरे पर बिखरे बालों को ना हटाना मेरा,
मैं आपके ख्यालों में खोई हूँ ये इशारा दे गयी।
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18-
हर सुबह मुस्कुराती हैं मेरी ,
आपकी बाँहों में अंगड़ाई लेने के बाद ,
हर रात सपने सजाती हैं मेरी निगाहें ,
मेरी पलकों पर आपकी पलकें झुक जाने के बाद ,
आपके प्यार में खोयी धड़कनें धड़कती हैं मेरी ,
हर साँस पर आपका नाम लेने के बाद ,
यूँ ही डूबा रहता हैं आपकी यादों में हर पल -छिन मेरा ,
एक आपके पास आने से पहले,एक आपके दूर जाने के बाद।
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19-
जिन्दगी से बेइंतहा मोहब्बत अब नहीं रही ,और नफरत करना चाहें तो भी कर नहीं पा रहे हम ,
चीख कर बता देना चाहते हैं दर्द -ए -दिल अपना ,
पर लफ्जों को लब तक भी नहीं ला पा हैं हम ,
अपनी नाराजगी को निगाहों से बयां तो करना चाहते हैं पर ,
जिन्दगी को सामने देख बेक़रार धड़कनों को रोक भी नहीं पा रहे हैं हम ,
कभी दिल चाहता हैं कि जिन्दगी से जी - भर शिकवे -शिकायत करें ,
पर खामोशी की ऐसी आदत -सी हो गयी हैं कि ,
चाह कर भी अब कुछ नहीं कह पा रहें हैं हम।
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20-
मेरी पलकों के सीप में तेरे ख्वाबों के मोती छिपाएं बैठी हूँ ,
इन होंठों की दो पंखुड़ियों में तेरे नाम की खुशबू समाएं बैठी हूँ ,
तू मेहंदी से मेरी हथेली पे अपना नाम लिखने की इजाजत दे दें ,
तेरी दुल्हन बनने की ख्वाहिश लिए कब से यूं ही बेक़रार बैठी हूँ।
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मेरी पलकों के सीप में तेरे ख्वाबों के मोती छिपाएं बैठी हूँ ,
इन होंठों की दो पंखुड़ियों में तेरे नाम की खुशबू समाएं बैठी हूँ ,
तू मेहंदी से मेरी हथेली पे अपना नाम लिखने की इजाजत दे दें ,
तेरी दुल्हन बनने की ख्वाहिश लिए कब से यूं ही बेक़रार बैठी हूँ।
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21-
दिल ने चाहा कि कोरे कागज पर अपना अरमान लिखूं ,
पर न जाने क्यूँ मैनें अपने हाथों से तेरा नाम लिखा,
पन्ना पलट कर चाहा कि जिन्दगी की कोई ख्वाहिश लिखूं ,
हैरान सी रह गयी जब मैंने तेरे नाम एक पैगाम लिखा।
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पर न जाने क्यूँ मैनें अपने हाथों से तेरा नाम लिखा,
पन्ना पलट कर चाहा कि जिन्दगी की कोई ख्वाहिश लिखूं ,
हैरान सी रह गयी जब मैंने तेरे नाम एक पैगाम लिखा।
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22 -
सिर से पैर तक मेरे कत्ल सामान हैं वो ,
कुदरत का तराशा हुआ एक खूबसूरत हथियार हैं वो ,
मैं रोज कत्ल होता हूँ उसकी अदाओं के वार से ,
और कहती हैं कि मेरे प्यार में गिरफ्तार हैं वो।
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सिर से पैर तक मेरे कत्ल सामान हैं वो ,
कुदरत का तराशा हुआ एक खूबसूरत हथियार हैं वो ,
मैं रोज कत्ल होता हूँ उसकी अदाओं के वार से ,
और कहती हैं कि मेरे प्यार में गिरफ्तार हैं वो।
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23 -
मेरे दिल की ये हसरत हैं आज ,
कि तुझे मोहब्बत भरा एक खत लिखूं ,
तेरी मोहब्बत की कशिश ने कहा ,
तेरी उड़ती जुल्फों पर एक खूबसूरत सी ग़ज़ल लिखूं ,
कोरे कागज को देख दिल ख्यालों में डूब गया ,
कि सबसे ऊपर तेरा नाम क्या लिखूं ,
हमराह कहूं ,हमराज कहूं ,या कहूं हमसफ़र तुझे ,
तू मोहब्बत हैं मेरी ,या तुझे मोहब्बत का खुदा नाम दूँ ,
मेरी वफ़ा तेरे दिल से तेरी रूह तक की हैं सनम ,
मेरी जान अब तू ही बता तुझे मैं क्या नाम दूँ।
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मेरे दिल की ये हसरत हैं आज ,
कि तुझे मोहब्बत भरा एक खत लिखूं ,
तेरी मोहब्बत की कशिश ने कहा ,
तेरी उड़ती जुल्फों पर एक खूबसूरत सी ग़ज़ल लिखूं ,
कोरे कागज को देख दिल ख्यालों में डूब गया ,
कि सबसे ऊपर तेरा नाम क्या लिखूं ,
हमराह कहूं ,हमराज कहूं ,या कहूं हमसफ़र तुझे ,
तू मोहब्बत हैं मेरी ,या तुझे मोहब्बत का खुदा नाम दूँ ,
मेरी वफ़ा तेरे दिल से तेरी रूह तक की हैं सनम ,
मेरी जान अब तू ही बता तुझे मैं क्या नाम दूँ।
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24-
ख़ामोशी से सीने में दबा के रखना अपना हर रंज - ओ -ग़म ,
खुदा वक़्त को हर ज़ख्म का मरहम बना के भेजता हैं ,
लफ़्जों में ना बयां कर अपने शिकवे -शिकायतें किसी से ,
रब बदलती तारीख के साथ तेरे सवालों का एक पुख़्ता ज़वाब भेजता हैं।
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25-
कहीं ख्वाबों का खुला आसमान हैं ,
तो कहीं खामोशियों का समन्दर हैं।
कहीं तमन्नाऐं अंगड़ाइयाँ लेती हैं ,
तो कहीं तन्हाइयों का बवण्डर हैं।
जिन्दगी सोच रही थी कि किससे इक्तफाक करूँ ,
तभी दिल में हलचल हुई और मोहब्बत कर ली।
जिन्दगी तो इनमें से किसी एक का दामन थामना चाहती थी,
कमबख्त दिल ने इन चारों से एक साथ दोस्ती कर ली।
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ख़ामोशी से सीने में दबा के रखना अपना हर रंज - ओ -ग़म ,
खुदा वक़्त को हर ज़ख्म का मरहम बना के भेजता हैं ,
लफ़्जों में ना बयां कर अपने शिकवे -शिकायतें किसी से ,
रब बदलती तारीख के साथ तेरे सवालों का एक पुख़्ता ज़वाब भेजता हैं।
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25-
कहीं ख्वाबों का खुला आसमान हैं ,
तो कहीं खामोशियों का समन्दर हैं।
कहीं तमन्नाऐं अंगड़ाइयाँ लेती हैं ,
तो कहीं तन्हाइयों का बवण्डर हैं।
जिन्दगी सोच रही थी कि किससे इक्तफाक करूँ ,
तभी दिल में हलचल हुई और मोहब्बत कर ली।
जिन्दगी तो इनमें से किसी एक का दामन थामना चाहती थी,
कमबख्त दिल ने इन चारों से एक साथ दोस्ती कर ली।
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26 -
अक्सर यूं ही कोरे - कागजों में अपने शिकवे - शिकायतें लिख दिया करते थे,
आहिस्ता - आहिस्ता ना जाने कब ये हमारा शौक बन गया।
लिखते तो हम आज भी हैं अपनी हसरते खामोश पन्नों पर,
पर ना जाने कब, कहाँ से शौक में आकर हुनर समा गया।
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अक्सर यूं ही कोरे - कागजों में अपने शिकवे - शिकायतें लिख दिया करते थे,
आहिस्ता - आहिस्ता ना जाने कब ये हमारा शौक बन गया।
लिखते तो हम आज भी हैं अपनी हसरते खामोश पन्नों पर,
पर ना जाने कब, कहाँ से शौक में आकर हुनर समा गया।
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27-
फूलों की पंखुड़ियों की तरह ,
बड़ी नाजुक ये दिल की ख्वाहिशें होती हैं।
वक़्त जरा - सा छूकर जो गुजर जाए बस ,
ख्वाहिशे हैं कि शब्द बनकर कोरे कागज पर बिखर जाती हैं।
लिखने की तहज़ीब गर शब्दों को मोहब्बत से सहेज दे ,
वहीँ ख्वाहिशें एक दिन दिल को छूने वाली ग़ज़ल बन जाती हैं।
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फूलों की पंखुड़ियों की तरह ,
बड़ी नाजुक ये दिल की ख्वाहिशें होती हैं।
वक़्त जरा - सा छूकर जो गुजर जाए बस ,
ख्वाहिशे हैं कि शब्द बनकर कोरे कागज पर बिखर जाती हैं।
लिखने की तहज़ीब गर शब्दों को मोहब्बत से सहेज दे ,
वहीँ ख्वाहिशें एक दिन दिल को छूने वाली ग़ज़ल बन जाती हैं।
********************************************************************************
28-
ये वक़्त की रफ़्तार हैं यारा ,
इसे हमसफ़र बनाकर चलना आसान नहीं होता।
जो चल पड़ो इस के साथ तो फिर ग़म ना करना ,
क्योंकि ठहरकर वक़्त को हाथों से निकलते देखना भी आसान नहीं होता।
ये जिंदगी भी कभी अजीब कश्मकश में लाकर खड़ा कर देती हैं दोस्तों,
वक़्त की भूल - भुलैया को सुलझा कर बाहर निकलना इतना आसान नहीं होता।
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29-
ये वक़्त की रफ़्तार हैं यारा ,
इसे हमसफ़र बनाकर चलना आसान नहीं होता।
जो चल पड़ो इस के साथ तो फिर ग़म ना करना ,
क्योंकि ठहरकर वक़्त को हाथों से निकलते देखना भी आसान नहीं होता।
ये जिंदगी भी कभी अजीब कश्मकश में लाकर खड़ा कर देती हैं दोस्तों,
वक़्त की भूल - भुलैया को सुलझा कर बाहर निकलना इतना आसान नहीं होता।
********************************************************************************
29-
राहें उलझ सी गई है, फिर भी,
मैं सफर तय किए का रही हूं।
कांटों से जख्मी हैं कदम मेरे,
मैं बिन थके चली जा रही हूं।
अक्सर अनसुना सा करते मुझे,
मैं खामोशी से बोले जा रही हूं।
मेरे हालात मुझे अश्क नज़र करते हैं अक्सर,
और मैं बेखौफ मुस्कुराए जा रही हूं।
मेरे मालिक मेरी जिंदगी देख उलझ कर रह गई है,
और मैं खुशी से लम्हा - लम्हा जिएं जा रही हूं।
********************************************************************************
30-
ना लिखते - लिखते हर लफ्ज़ में हां लिख गई,
इंकार करना ना आया इश्क - ए - इजहार कर गई।
खत तो लिखा था उसने मेरा दिल तोड़ने के लिए,
पर उसे भी नहीं पता वो अपना हाल - ए - दिल बयां कर गई।
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31-लबों से वो कुछ नहीं कहते,
लेकिन वो खामोश भी नहीं रहते।
अक्सर देखा है उन्हें निगाहों से बातें करते हुए,
और कहते है कि मेरी खामोशी को वो नहीं पढ़ते।
********************************************************************************
32-
होठों से मुस्कुराने की वजह मत पूछो,
इन निगाहों का ख्वाब मत पूछो।
इस दिल की ख्वाहिशें मत पूछो,
लबों पर ठहरे लफ्ज़ मत पूछो।
तन्हाइयों की बेकरारी मत पूछो,
ख्यालों से बेख्याली मत पूछो।
जिसके नाम पर रुक जाना चाहती है हिचकियां,
मेरी हिचकियों से वो नाम मत पूछो।
जो निगाहों से बयां हो रहा है चुपके - चुपके,
वहीं इकरार - ए - मोहब्बत लफ्जों में मत पूछो।
इससे पहले कि जमाने को एहसास हो जाए खामोशी का,
जो हम कह नहीं पा रहे हमसे वो बात मत पूछो।
********************************************************************************
33-
प्यार की कहानी भी अजीब लगती है,
दूर होकर भी ना जाने क्यों करीब लगती है।
एक धुंधला सा चेहरा हैं उसका ख्वाबों में,
पर ना जाने क्यों मुझे मेरा नसीब लगती हैं।
मुझे देख पलकें झुकाकर मुस्कुराती है जब वो,
उसकी ये अदा मुझे प्यार की तहजीब लगती हैं।
********************************************************************************
34-
जमाने ने ना जाने कब अदाकारी सीख ली,
एक हम हैं हमें देखने का हुनर तक नहीं आया।
वो बड़े प्यार से पीठ पर खंजर मार कर चले गए,
और हमारी आंख से एक आंसू तक नहीं आया।********************************************************************************
35-
कितने कांटे हैं मेरी राह पर तुम क्या जानो,
कभी आकर मेरे जख्मी पैरों से पूछो।
मीलों का सफर तय किया हैं मैंने इन घावों से,
काटों को फूल कैसे समझते हैं मेरे हौसलों से पूछो।
********************************************************************************
36-
बड़ी शातिर हैं ये दुनिया, मुस्कुरा कर दगा देती हैं।
पहले जख्म देती है, फिर खुद ही दवा देती हैं।
कितना आसान हैं किसी के जज्बातों से खेलना,
जख्म कुरेद कर, दूसरे पल सहला देती हैं।
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बरसों पलकों पर मोती बन रहता है,
दर्द के लम्हों में दामन छुड़ा कर बहता है।
बड़ा बेवफा होता है ये अश्क आंखों का,
लबों जो न कहें वो खामोशी से कहता हैं।
********************************************************************************
38-
मेरी दौलत मेरी शोहरत को मेरा मुकाम मत कहो,
अभी लफ्जों में आया हूं दिल में उतरना बाकि हैं।
कदम धीरे जरूर हैं लेकिन रुके तो नहीं हैं,
अभी मेरे दौर का सफर बाकि हैं।
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39-
वो आए दो पल को और फिर चले गए,
लोग कहने लगे ये क्या यूं आए यूं ही चले गए।
अंजान हैं जमाना मोहब्बत की अदाओं से,
लब खामोश रहें वो निगाहों से कह कर चले गए।
********************************************************************************
40-
मैंने वक्त से चलना सीख लिया,
मैंने सांझ से ढलना सीख लिया।
हवा से रुख मोड़ना सीख लिया,
मौसम के साथ बदलना सीख लिया।
ना सीख पायी जमाने की अदाकारी कभी,
लेकिन कहानी के हिसाब से किरदार निभाना सीख लिया।
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