मैं जन्मा हूं उस भारत भूमि में,
जहां धरती को माता कहते हैं।
जो दिल में आस्था भर ले तो,
पत्थर को भी पूजा करते हैं।
पाश्चात्य सभ्यता को अपनाया है हमने,
पर मन में अब भी खादी है।
क्रांति हम में आजाद, भगत सिंह जैसी,
और विचारों से हम गांधी हैं।
जो ठान ले इतिहास आज रचने की तो फिर,
संविधान प्रणेता डॉ आंबेडकर के हम अनुगामी हैं।
हौंसलों के पंख हैं अनंत तक उड़ान भरने को,
क्योंकि हम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के पथगामी है।
जन्म से हम हिंदी भाषी हैं पर,
कंठ में भाषा की त्रिवेणी बहती है।
अंग्रेजी सखी है, और संस्कृत मेरी जननी है,
यह समन्वयशील राष्ट्रभाषा हिंदी हमसे कहती है।
गंगा को मैया, गाय को गौ माता हम कहते हैं,
बैकुंठ से गंगा को धरा पर लाने वाले भागीरथी के हम वंशज हैं।
महाभारत जैसी विभीषिका की तपिश में तपने वाले हम,
विषम परिस्थितियों की दलदल में पल्लवित पंकज है।
श्रीमद्भागवत गीता के हम साधक हैं,
रामायण से मर्यादा और आदर हमने सीखा है।
हम उन वीर योद्धाओं और लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं के सपूत हैं,
जिन्होंने अपनी शमसीर से इतिहास लिखा है।
जहां किसान धरा का श्रृंगार करता है,
जिसकी सुरक्षा के लिए जवान सरहद पर लड़ता है।
यह मंदिर मठों की वह पावन भूमि है,
जहां कलमकार भाव, कल्पना को शब्दों में सजीव करता है।
हम धर्मकुशल, हम कर्मकुशल,
हम छल को छल से ही मारे,
हम सदा से विश्व विजेता हैं,
हम कभी ना मन से हारे।
योग, कला, राजनीति, तकनीकी प्रेमी,
अपने ही हाथों अपनी तकदीर सवारें।
हम भारत मां का उज्जवल भविष्य
हम शुद्ध विचारों का विकास करेंगे,
शिक्षा और ज्ञान के सुंदर समन्वय से हम,
स्वर्णिम अक्षरों में एक नया इतिहास लिखेंगे।
जब परिवर्तन की तेज बयार से रूढ़िवादी दृष्टिकोण का थम्भ गिरेगा,
तब भारत भूमि के स्वच्छंद आकाश में नवाचार का स्वरूप सूर्य उगेगा।
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