आज देखो शेर पर होकर सवार,
पर्वतों से मां मेरी आ गई।
अपने भक्तों की सुन कर निर्मल पुकार,
भक्तों को दर्शन देने मां आ गई।
अष्टभुजा नव दुर्गे मैया,
तू हम सब की दाती है।
दर्शन देकर धन्य करो मां,
कल से तेरी नवरात्रि है।
लाल चुनरिया ओढ़कर मां आ गई,
भक्तों को दर्शन देने मां आ गई।
आज देखो शेर पर होकर सवार,
भक्तों को दर्शन देने मां आ गई।
तेरे दरस को तरस रहे,
कब होंगे पावन नैन मेरे,
तेरे चरणों की सेवा में,
बीते पल - छिन, दिन - रैन मेरे।
भरने भक्तों की झोली मां आ गई,
भक्तों को दर्शन देने में आ गई।
आज देखो शेर पर होकर सवार,
भक्तों को दर्शन देने मां आ गई।
मन मंदिर में तेरी मूरत,
प्रेम की जोत जलाऊं मैं।
जीवन की हर धूप - छांव में,
जगराते तेरे गाऊं मैं।
सुन के भक्तों के जगराते मां आ गई,
भक्तों को दर्शन देने में आ गई।
आज देखो शेर पर होकर सवार,
भक्तों को दर्शन देने मां आ गई।
जीवन नैया डगमग डोले,
कैसे करूं भवसागर पार।
मेरे जीवन की तू खैवया,
तेरी महिमा अपरम्पार।
भक्तों को दर्शन देने में आ गई।
आज देखो शेर पर होकर सवार,
भक्तों को दर्शन देने मां आ गई।
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