मेरी पतंग

    पतंग 


  मेरी  पतंग  हैं रंग -बिरंगी ,
  दूर गगन मेँ   उड़ती हैं। 
 बिना पंख ही उड़ती रहती ,
 हवा के संग बातें करती हैं। 
 मैं खड़ा हूँ हरी धरा में ,
 ये नील गगन में टहल रही।
 मेरे हाथ हैं  इसकी डोर ,
 ये बादल के संग झूम रही। 
पतंग,बाल कविता 
काश मैं भी पतंग के जैसे ,
आसमान में उड़ पाता। 
उड़ता रहता बाहें फैलाकर ,
चाँद और सूरज से बातें करता। 
कहता चंदा मामा क्यों ,
तुम रात ही में आते हो। 
दिन -भर चलकर सूरज भैय्या आप ,
साँझ ढले कहाँ जाते हो। 

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