सुंदरता का राज

              सुन्दरता का राज

सुंदरता का राज, बाल कविता
 
  उधर पेड़ पर बैठी कोयल ,
मीठे बोल सुनाती हैं 
काली कोयल मधुर स्वरों से ,
सब का मन लुभाती हैं। 
मधुर स्वर सुनते ही देखो ,
सबका मन हर्षाया ,
गीत -गीत में  काली कोयल ने ,
सुंदरता का राज    बताया। 
मैं भी  काली ;कौआ भी काला ,
फिर भी सबको   मेरा स्वर भाता ,
मैं हूँ मीठे स्वर की रानी ,
कौआ कर्कश स्वर में गाता। 
 इसीलिए कहती हूँ सुन लो ,
सुन्दर तन ना सुन्दरता कहलाती ,
सुंदरता का राज, बाल कविता
 रंग -रूप से नहीं कभी भी ,
सुन्दरता तो व्यवहार से आती। 
 वाणी मधुर हो ;पावन मन , 
व्यवहार में  सबके लिए हो प्यार ,
आदर -सम्मान का पाठ सीखकर ,
लाओ जीवन में नित्य -निखार। 
 मेरी  तरह तुम भी बन जाओ ,
वाणी से  जीत लो यह संसार ,
 सुन्दर होगा तन भी मन भी ,
जन -जन  से मिलेंगा  स्नेह -अपार।  



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