कोरा कागज, कलम की स्याही ,
साथ रहे शब्दों की संख्या।
कल्पनाऐं हो मध्यम लेखन का,
शब्दों में हो भावों की व्याख्या।
भावनाओं बिना हैं शब्द अधूरे,
भाव भटकते हैं बिन भाषा।
शब्द भावों का दर्पण कहलाते ,
छवि रूप में मन की अभिलाषा।
कोरा कागज खामोश जुबाँ हैं ,
शब्द हैं कोशिश कुछ कहने की।
ये शब्द तुम्हारे हो सकते हैं ,
चाहत तो रखो कुछ कहने की।
शब्दों में गर भाव ना हो ,
ना हो शब्दों में कोई जिज्ञासा।
वो शब्द नहीं एक जिन्दा लाश हैं ,
जिनमें नहीं जीने की आशा।
शब्द मिलेगें, भाव मिलेगें ,
मिलेंगी भावों की विस्तृत परिभाषा।
सर्वगुणों से सुसंस्कृत हैं जो ,
वो हैं अपनी हिन्दी भाषा।
संस्कृत से जन्मी हैं ये ,
सहज हैं इसमें भावाभियक्ति।
हिन्दी हैं साधन सम्प्रेषण का ,
अद्भुत हैं इसकी शब्दशक्ति।
रस और छंद से श्रृंगारित हैं ,
अलंकारों से सुसज्जित हैं।
कवि भर दें गागर में सागर ,
ऐसी संस्कारित हैं परिमार्जित हैं।
भारत की गौरव गाथा हिंदी में ,
हिन्दी हैं हमारी राजभाषा ,
राष्ट्रीयता का प्रतीक हैं हिन्दी ,
हिन्दी ही हैं हमारी मातृभाषा।

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